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कर्मचारी की भारी कमी से महुआडाड़ में जमीन संबंधी कार्य ठप, भाजपा ने दी आंदोलन की चेतावनी

#महुआडाड़ #भूमिसमस्या : प्रखंड कार्यालय में जनता परेशान, भाजपा बोली—समस्या का समाधान नहीं हुआ तो होगा आंदोलन

कर्मचारी संकट बना लोगों की परेशानी का कारण

महुआडाड़ प्रखंड कार्यालय में जमीन से जुड़े मामलों की प्रक्रिया पूरी तरह ठप पड़ गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह है – संबंधित विभाग में आवश्यक कर्मियों की भारी कमी। जमीन के बंटवारे, दाखिल-खारिज, म्यूटेशन और अन्य राजस्व संबंधी मामलों में जनता को लंबे समय से समाधान नहीं मिल पा रहा है। कार्यालय में कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण आवेदन लंबित पड़े हुए हैं, और लोग बार-बार चक्कर लगाने को मजबूर हैं।

भाजपा कार्यकर्ताओं की सख्त चेतावनी

इस स्थिति को लेकर स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के प्रति नाराजगी जताई है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर जल्द कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई और आम जनता को राहत नहीं दी गई, तो वे आंदोलन करेंगे।

भाजपा मंडल अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा: “प्रखंड एवं जिला प्रशासन को चेतावनी दी जाती है कि यदि जमीन से जुड़े कार्यों को चालू नहीं किया गया, तो भाजपा कार्यकर्ता आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।”

लंबित मामले बढ़ा रहे हैं बोझ

स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं के अनुसार, सालों से जमीन से जुड़े कई मामले लंबित हैं। जिनमें न तो सुनवाई हो रही है, और न ही समाधान। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले नागरिक बार-बार दफ्तरों का चक्कर काटते हैं, लेकिन कर्मचारियों की अनुपलब्धता के चलते उन्हें सिर्फ निराशा हाथ लगती है।

भाजपा नेताओं का कहना है कि यह समस्या अब केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के साथ अन्याय है।

न्यूज़ देखो: प्रशासनिक अनदेखी बनाम जनता की उम्मीद

महुआडाड़ में जमीन से जुड़े कामों के ठप होने से एक बार फिर स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं। जनता को समय पर सेवा देना प्रशासन की पहली जिम्मेदारी होती है, लेकिन जब बुनियादी स्तर पर ही कर्मचारी नहीं हैं, तो न्याय कैसे मिलेगा?
न्यूज़ देखो इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से उठाता है और जिला प्रशासन से मांग करता है कि इस संवेदनशील मामले में त्वरित हस्तक्षेप हो।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनहित के लिए आवाज़ उठाएं

आप भी इस समस्या से प्रभावित हैं या इससे संबंधित राय रखते हैं? तो कमेंट में ज़रूर अपनी बात कहें। यह लेख शेयर करें ताकि जिम्मेदारों तक जनता की आवाज़ पहुंचे और भविष्य में कोई भी ज़मीन से जुड़े कार्यों के लिए दर-दर न भटके।

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