
#रांची #भूधंसानसंकट : सौंदा डी (भुरकुंडा सयाल) के पास रांची-पतरातू मुख्य मार्ग पर सड़क धंसी — जमीन से लगातार निकल रहा है धुआं, कोयला खनन और बारिश को बताया जा रहा कारण
- रांची-पतरातू मुख्य सड़क पर सौंदा डी के पास भू-धंसान की बड़ी घटना
- लगातार बारिश और कोयला खनन को बताया जा रहा है मुख्य कारण
- धंसे इलाके से निकल रहा धुआं, भूमिगत आग की आशंका गहराई
- सीसीएल प्रबंधन ने मुख्य मार्ग को किया बंद, इलाके को घेरा गया
- स्थानीय लोगों में दहशत, यातायात पूरी तरह से बाधित
सड़क का बड़ा हिस्सा धंसा, यातायात पूरी तरह बंद
रांची-पतरातू रोड पर स्थित सौंदा डी (भुरकुंडा सयाल) के समीप आज सड़क का बड़ा हिस्सा भू-धंसान के कारण धंस गया। यह मार्ग राजधानी रांची और पतरातू को जोड़ने वाला एक अहम संपर्क मार्ग है, जिसे सीसीएल की सौंदा डी परियोजना के अंतर्गत विकसित किया गया था।
बारिश और खनन ने बिगाड़ी ज़मीन की स्थिति
हाल के दिनों में हुई भारी बारिश के कारण जमीन कमजोर हो गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि अत्यधिक कोयला खनन इस दुर्घटना का असली कारण है। सड़क का करीब आधा हिस्सा गड्ढे में तब्दील हो गया है, जिससे आम जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है।
लगातार निकल रहा है धुआं, भूमिगत आग की आशंका
धंसे हुए क्षेत्र के आसपास से लगातार धुआं निकल रहा है, जिसने भूमिगत कोयला आग की आशंका को और भी मजबूत कर दिया है। जानकारों के अनुसार यह धुआं कोयला खदानों में धीमे दहन का संकेत हो सकता है, जो कि अत्यंत खतरनाक और विस्फोटक हो सकता है।
सीसीएल प्रबंधन ने लिया त्वरित निर्णय
सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) प्रबंधन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्काल प्रभाव से इस मार्ग को यातायात के लिए बंद कर दिया है। धंसे हुए हिस्से को ईंट और पत्थरों से घेरकर चिह्नित कर दिया गया है ताकि कोई भी व्यक्ति या वाहन उस क्षेत्र में न जा सके।
न्यूज़ देखो: कोयला क्षेत्रों की उपेक्षा का नतीजा?
यह घटना दर्शाती है कि कोयला खनन क्षेत्रों में ज़मीन के अंदर छिपे खतरे किस तरह सतह पर विनाश लेकर आ सकते हैं। लगातार हो रहे खनन और मॉनसून की मार ने स्थानीय भूगर्भीय संतुलन को तोड़ दिया है। न्यूज़ देखो इस गंभीर मामले की तह तक जाकर प्रशासन और कोल कंपनियों से जवाबदेही तय करने की मांग करता है।
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ज़िम्मेदार योजना और निगरानी ही बचाव का रास्ता
कोयला क्षेत्र में हो रहे हादसे और भू-धंसान की घटनाएं स्थायी समाधान की मांग करती हैं। सरकार और कोल कंपनियों को चाहिए कि सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता दें और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।
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