गढ़वा सदर अस्पताल, गढ़वा में इलाज के लिए आए रानू अगरिया को स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का शिकार होना पड़ा। मंगलवार को गंभीर उम्मीदों के साथ अस्पताल पहुंचे रानू को प्राथमिक उपचार के नाम पर केवल एक ड्रेसिंग और इंजेक्शन दिया गया। बुधवार को दोपहर एक इंजेक्शन और लगाया गया, लेकिन पैर में दर्द और खराब स्थिति के बावजूद कोई एक्स-रे नहीं किया गया।
रानू का कहना है कि उसे चिंता सताने लगी कि कहीं वह अपने पैरों से चलने में असमर्थ न हो जाए। गुरुवार सुबह जब यह मामला अखबार और सोशल मीडिया में उजागर हुआ, तब स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया। सुबह 7 बजे से उसका इलाज शुरू किया गया और दोपहर 11 बजे पैर का एक्स-रे किया गया।
मीडिया ने जगाई विभाग की नींद
हालांकि, 48 घंटे की देरी ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया। इस दौरान डॉक्टर और अधिकारी कागजी औपचारिकताओं में जुटे रहे और मरीज उचित इलाज के लिए परेशान होता रहा। रानू ने कहा कि अगर खबर मीडिया में नहीं आती, तो शायद उसका इलाज अब तक भी शुरू नहीं हो पाता।
लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की इस तरह की कार्यशैली से उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा। लापरवाही और सुस्ती की यह कहानी विभाग की जमीनी हकीकत को बयां करती है।