#लातेहार #समाजिकदुखदघटना – लातेहार के प्रतिष्ठित समाजसेवी और श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर के नियमित संध्या आरती सदस्य श्याम सुंदर शर्मा का गत शुक्रवार को निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार रविवार को पंजाब स्थित उनके पैतृक गांव में संपन्न हुआ।
- सेवानिवृत्त शिक्षिका सुनीता भास्कर के पति थे श्याम सुंदर शर्मा
- अंतिम संस्कार में कनाडा और लंदन से पहुंचे पुत्र और पुत्री
- मृत्यु से एक दिन पूर्व तक संध्या आरती में लिया था भाग
- मंदिर समिति ने आयोजित की शोकसभा, श्रद्धांजलि अर्पित की गई
- समिति के पदाधिकारियों ने जताया गहरा शोक, बताया अपूरणीय क्षति
संध्या आरती में नियमित भागीदार थे दिवंगत शर्मा
श्री श्याम सुंदर शर्मा, लातेहार के श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर में संध्या आरती के नियमित सदस्य थे। उनके निधन से एक दिन पूर्व गुरुवार को भी उन्होंने आरती में भाग लिया था। मंदिर समिति के अनुसार, वे न सिर्फ श्रद्धालु थे, बल्कि मंदिर से जुड़े कई कार्यों में सक्रिय सहयोग भी करते थे।
पंजाब में हुआ अंतिम संस्कार, विदेश से लौटे परिजन
उनका अंतिम संस्कार रविवार को उनके पैतृक गांव पंजाब में किया गया। इस अवसर पर उनके पुत्र कनाडा से और पुत्री लंदन से भारत लौटे और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में भाग लिया। उनके परिवार में यह घटना गहरे शोक का कारण बनी है।
मंदिर समिति ने की श्रद्धांजलि सभा, व्यक्त की संवेदना
श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर समिति की ओर से रविवार को एक शोकसभा आयोजित की गई। समिति के संरक्षक अभिनंदन प्रसाद और महेंद्र प्रसाद शौंडिक ने दिवंगत आत्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि:
महेंद्र प्रसाद शौंडिक ने कहा: “स्व. श्याम सुंदर शर्मा मंदिर की आत्मा जैसे थे। हर दिन उनकी उपस्थिति प्रेरणा देती थी। उनका जाना हमारे लिए व्यक्तिगत क्षति है।”
इस दौरान मंदिर समिति के सचिव आशीष टैगोर, सदस्य सुदामा प्रसाद गुप्ता, संतोष अग्रवाल, राजू अग्रवाल, एएसआई रामनिवास सिंह, गोलू पाठक, पुजारी रामेश्वर पांडेय, और सेवादार पारितोष ठाकुर सहित कई श्रद्धालु उपस्थित थे।
न्यूज़ देखो: श्रद्धा और सेवा का नाम थे श्याम सुंदर शर्मा
श्याम सुंदर शर्मा न केवल मंदिर के एक श्रद्धालु थे, बल्कि धार्मिक अनुशासन और सामाजिक सहभागिता के प्रतीक भी थे। ‘न्यूज़ देखो’ उनके जीवन को समर्पण, भक्ति और समाज सेवा की मिसाल मानता है। उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
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जीवन का मूल्य सेवा और श्रद्धा में ही है
समाज के ऐसे व्यक्तित्व हमें यह सिखाते हैं कि धर्म और सेवा का समन्वय ही सच्चा जीवन है। आइए, हम सभी अपने आस-पास ऐसे लोगों के योगदान को पहचानें और स्वयं भी सामाजिक व धार्मिक दायित्वों में सक्रिय बनें।
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