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लातेहार: ‘सरकार आपके द्वार’ बना सिर्फ कागजी अभियान: ग्रामीण बोले – “फॉर्म भरवाया, नतीजा शून्य”

#लातेहार #योजना_विफलता — वादों का ढोल, हकीकत में शून्य लाभ : जनप्रतिनिधियों ने भी जताई नाराजगी
  • लातेहार के कई प्रखंडों में ग्रामीणों को योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिला
  • हजारों लोगों ने फॉर्म भरा, लेकिन अब तक नहीं हुई प्रक्रिया की प्रगति
  • स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पूर्व विधायक ने जताई नाराजगी
  • पूर्व पंचायत समिति सदस्य बोले– सिर्फ आंकड़े जुटाए, नतीजा शून्य
  • राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया ‘वोट बैंक कार्यक्रम’

योजनाएं कागजों में, जनता की उम्मीदों पर पानी

लातेहार जिला में झारखंड सरकार की बहुप्रचारित ‘सरकार आपके द्वार’ योजना सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है। विभिन्न पंचायतों में लोगों से फॉर्म तो भरवा लिए गए, लेकिन ना कोई फॉलोअप हुआ, ना ही लाभ मिला

मनिका, महुआडांड़, चंदवा, गारू, बालूमाथ जैसे प्रखंडों में आधार कार्ड अपडेट, वृद्धावस्था पेंशन, राशन कार्ड, पीएम आवास योजना, किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के लिए सैकड़ों ग्रामीणों ने आवेदन किया, लेकिन परिणाम शून्य।

ग्रामीण बोले – “सिर्फ फॉर्म भरवाया, कोई अधिकारी आया तक नहीं”

दुरूप पंचायत के एक ग्रामीण ने बताया:

“हमने वृद्धावस्था पेंशन और राशन कार्ड के लिए आवेदन दिया था। लेकिन आज तक कोई भी कर्मचारी या अधिकारी फॉलोअप के लिए नहीं आया। योजना से लाभ नहीं मिला।”

जनप्रतिनिधि भी हो रहे खिन्न

पूर्व पंचायत समिति सदस्य धर्मेंद्र सिंह ने इस अभियान को सिर्फ वोट बैंक तैयार करने की रणनीति बताया। उन्होंने आरोप लगाया:

“फॉर्म भरवाने से योजना पूरी नहीं हो जाती। सरकार ने जनता को भ्रमित किया है। गांव-गांव में कैंप लगवाकर सिर्फ आंकड़े जुटाए गए, लेकिन नतीजा शून्य है।”

मणिका के पूर्व विधायक का तीखा बयान

पूर्व विधायक हरे कृष्ण सिंह ने साफ कहा कि यह सरकार ठगने में लगी है। उनका आरोप था:

“ग्रामीणों से फॉर्म भरवा कर अधिकारियों ने उन्हें झूठी उम्मीदें दीं। शिविर के बाद कोई मॉनिटरिंग नहीं हुई। कई जगह तो यह तक नहीं बताया गया कि आवेदन स्वीकार हुआ या नहीं।”

सिर्फ प्रचार तक सिमट गई “सेवा और सुशासन”

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ‘सरकार आपके द्वार’ अब एक चुनावी स्टंट बन चुका है। सेवा, सुशासन और कल्याण की बातें सिर्फ प्रचार मंचों तक सीमित रह गई हैं।

टूटता भरोसा, बढ़ता आक्रोश

ग्रामीणों में अब गहरा असंतोष है। उन्हें लग रहा है कि ये अभियान सिर्फ चुनावी टाइमिंग के मुताबिक चलाए जाते हैं, ताकि वोटरों का रुझान भरा जा सके। कई लोग अब खुलकर पूछ रहे हैं—“क्या यह योजना सिर्फ वोट के लिए थी?”

न्यूज़ देखो: जनता के साथ छल न हो योजना

‘सरकार आपके द्वार’ जैसे अभियान यदि जमीनी स्तर पर लागू नहीं हों, तो ये भरोसे की हत्या बन जाते हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह शिविरों के बाद मॉनिटरिंग तंत्र विकसित करे, ताकि जनता को असल लाभ मिल सके।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनता की आवाज़ है असली विकास का रास्ता

लातेहार जैसे जिलों में जहां विकास की ज़रूरत सबसे अधिक है, वहां योजनाओं की निष्क्रियता जनता का विश्वास डगमगा देती है। प्रशासन को इस पर गंभीर चिंतन करना चाहिए, क्योंकि जनता की उम्मीदें सिर्फ वोट तक सीमित नहीं होतीं।

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