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लातेहार के तिसिया गांव में सीआरपीएफ की शिक्षा क्रांति: नक्सल छाया में जगी उम्मीद की किरण

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#लातेहार #शिक्षा_अभियान — सीआरपीएफ की पहल से नक्सल प्रभावित गांव में फिर से गूंजने लगी बच्चों की पाठशाला

  • तिसिया गांव में सीआरपीएफ के प्रयास से 53 बच्चे शिक्षा से जुड़े
  • 11वीं बटालियन के कमांडेंट यादराम बुनकर ने की पहल की शुरुआत
  • बच्चों को स्कूल बैग, ड्रेस, स्टेशनरी और मिड-डे मील की व्यवस्था
  • नक्सल क्षेत्र में शिक्षा के जरिए बदलाव की मिसाल बना तिसिया
  • गांव में शिक्षक नहीं, पर सीआरपीएफ ने संभाली जिम्मेदारी
  • स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने भी पहल की सराहना की

नक्सलवाद से प्रभावित तिसिया गांव में शिक्षा की लौ

लातेहार जिले का तिसिया गांव, जो कभी बुढ़ा पहाड़ के कारण नक्सल गतिविधियों के लिए कुख्यात था, आज सीआरपीएफ की पहल से एक नई पहचान बना रहा है। कभी जहां बंदूकें बोली करती थीं, अब वहां बच्चों की पाठशाला की घंटी सुनाई देती है। यह बदलाव संभव हुआ सीआरपीएफ 11वीं बटालियन के कमांडेंट यादराम बुनकर की प्रेरणादायक सोच से, जिन्होंने गांव में शिक्षा का अलख जगाने की ठानी।

गांव में स्कूल तो है, शिक्षक नहीं – सीआरपीएफ ने उठाया बीड़ा

तिसिया गांव में एक स्कूल भवन जरूर मौजूद है, लेकिन पिछले कई वर्षों से शिक्षक अनुपस्थित हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बंद हो चुकी थी। इस स्थिति को देखते हुए कमांडेंट यादराम बुनकर ने सीआरपीएफ के जवानों को जिम्मेदारी दी कि वे बच्चों के अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें सीआरपीएफ कैंप के पास बने शेड में पढ़ने के लिए प्रेरित करें।

सिर्फ तीन बच्चों से शुरू हुई पहल बनी प्रेरणा

शुरुआत में मात्र तीन बच्चे ही पढ़ाई के लिए आए, लेकिन सीआरपीएफ के निरंतर प्रयासों और यादराम बुनकर के प्रोत्साहन से यह संख्या 53 तक पहुंच गई। यह देखकर उप कमांडेंट मुकेश कुमार और निरीक्षक राजकुमार रजक ने भी इस पहल को समर्थन दिया।

“हमारा उद्देश्य है कि इन बच्चों को शिक्षा से जोड़कर उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाया जाए।”
यादराम बुनकर (कमांडेंट, सीआरपीएफ)

बच्चों को दी गई स्कूल किट और भोजन की सुविधा

सीआरपीएफ ने न केवल बच्चों के लिए कक्षा की व्यवस्था की, बल्कि उन्हें स्कूल ड्रेस, बैग, कॉपी, पेंसिल और पानी की बोतलें भी वितरित कीं। इसके साथ ही मध्यान्ह भोजन की भी सुविधा दी जा रही है, जिससे बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि और अधिक बढ़ी है।

“जब हमने देखा कि बच्चे खुद पढ़ाई के लिए आगे आ रहे हैं, तो यह हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी।”
मुकेश कुमार (उप कमांडेंट)

समाज के लिए प्रेरणा बना तिसिया का यह बदलाव

तिसिया गांव में जब नक्सल प्रभाव कम हुआ, तो लोग विकास की ओर आशा भरी निगाहों से देखने लगे। लेकिन शिक्षा के अभाव ने उन्हें पीछे कर रखा था। अब सीआरपीएफ की यह पहल न केवल बच्चों को पढ़ा रही है, बल्कि सामाजिक बदलाव की नींव भी रख रही है। स्थानीय प्रशासन ने भी इस पहल की सराहना की है और इसे अन्य गांवों में भी अपनाने की सिफारिश की है।

न्यूज़ देखो : जन सरोकारों से जुड़ी हर पहल पर पैनी नजर

‘न्यूज़ देखो’ ऐसी खबरों को प्राथमिकता देता है जो समाज को प्रेरित करती हैं और बदलाव की बुनियाद रखती हैं। लातेहार के तिसिया गांव में शिक्षा की यह क्रांति बताती है कि जब सरकार और सुरक्षाबल मिलकर काम करते हैं, तो असंभव भी संभव हो सकता है। हर ज़रूरी खबर, हर सामाजिक बदलाव और हर सुरक्षा मुद्दे पर – हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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