#लातेहार #महुआडांड #बाल_तस्करी — एसआईटी ने दिल्ली से सकुशल बरामद की युवती
- 2017 में घरेलू काम के नाम पर दिल्ली भेजी गई थी सरिता
- 2023 में परिजनों ने थाने में दर्ज कराया था गुमशुदगी का मामला
- लातेहार एसआईटी ने दिल्ली से किया सफल रेस्क्यू
- साइबर सेल की मदद से मिला आधार सिम का सुराग
- अब परिजनों को सौंप दी गई है युवती
8 वर्षों बाद मिला परिवार का साथ
लातेहार जिले के महुआडांड थाना क्षेत्र से 2017 में लापता हुई सरिता (परिवर्तित नाम) को दिल्ली के रूपनगर थाना क्षेत्र से रेस्क्यू कर लिया गया है। जानकारी के अनुसार सरिता को दो अन्य लड़कियों के साथ घरेलू काम के लिए दिल्ली भेजा गया था। यह काम स्थानीय तीन दलालों के माध्यम से किया गया था, जिसमें सुनीता मुरमुरिन का नाम सामने आया है।
बीमार पड़ी तो और घर में भेजा गया
दिल्ली में लगातार काम के बोझ से सरिता बीमार हो गई। इसके बाद सुनीता ने उसे बिरेन्द्र कुमार गुप्ता नामक व्यक्ति के घर काम पर लगा दिया। सरिता ने वहां तीन महीने काम किया लेकिन उसे कोई पैसा नहीं मिला, जिसके चलते वह 2018 में वहां से भाग गई।
“काम का बोझ इतना था कि मैं बीमार हो गई थी। पैसे भी नहीं मिले, इसलिए भागना पड़ा।”
— सरिता (बदला नाम)
2023 में दर्ज हुआ मामला, गठित हुई एसआईटी
सरिता के माता-पिता ने जब कई वर्षों तक कोई सूचना नहीं पाई, तो 2023 में महुआडांड थाना में मामला दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने एसआईटी का गठन किया। लातेहार साइबर सेल को जांच के दौरान यह पता चला कि सरिता ने अपने नाम पर 2023 में एक सिम कार्ड लिया था।
दिल्ली से बरामदगी, फिर लौट आई लातेहार
इस सुराग के आधार पर 13 अप्रैल 2025 को एसआईटी टीम दिल्ली पहुंची और रूपनगर थाना क्षेत्र के एक अपार्टमेंट से सरिता को बरामद किया। फिर 16 अप्रैल को टीम उसे लेकर लातेहार लौटी, जहां उसे परिजनों को सौंप दिया गया।
न्यूज़ देखो: बाल तस्करी के विरुद्ध लड़ाई जरूरी
सरिता की कहानी हमारे समाज में सक्रिय बाल तस्करी नेटवर्क की गंभीरता को उजागर करती है। ज़रूरी है कि हम ऐसे मामलों में सतर्कता बरतें और जागरूक रहें। ‘न्यूज़ देखो’ का हर पाठक इस सच्चाई को समझे कि एक छोटी-सी लापरवाही, किसी की जिंदगी बदल सकती है। पुलिस और प्रशासन के ऐसे सराहनीय प्रयासों को हम सलाम करते हैं।