
#लातेहार #आकाशीयबिजली | शीशी पंचायत के जरमनीयाटाढ़ गांव में दोपहर का सन्नाटा अचानक चीखों में बदल गया
- दो बच्चियां और एक महिला आकाशीय बिजली की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल
- घटना दोपहर करीब 3 बजे जरमनीयाटाढ़ गांव में पेड़ के नीचे खड़े होने के दौरान हुई
- ग्रामीणों ने तुरंत सूचना देकर मुखिया और उपमुखिया को मौके पर बुलाया
- घायलों को निजी वाहन से लातेहार सदर अस्पताल पहुंचाया गया
- इलाज जारी, मुखिया ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की
- लोगों से बरसात के मौसम में सतर्क रहने की अपील
बरसात की गड़गड़ाहट और अचानक बदला मौसम
झारखंड के लातेहार जिले के सदर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शीशी पंचायत के जरमनीयाटाढ़ गांव में बुधवार की दोपहर एक दर्दनाक हादसा हुआ। जब लोग दोपहर की सामान्य दिनचर्या में व्यस्त थे, तभी मौसम ने करवट ली और तेज बारिश और गड़गड़ाहट के साथ आकाशीय बिजली गिर गई।
कटहल के पेड़ के नीचे खड़े थे तीनों, गिरी बिजली
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुस्मांति कुमारी (पिता- पंचु उरांव), चन्द्रमणी कुमारी (पिता- लालधारी उरांव) और सुबन्ती देवी (पति- दिनेस उरांव) अपने घर के पास स्थित एक कटहल के पेड़ के नीचे खड़ी थीं। मौसम के बिगड़ते ही ग्रामीण खुले स्थानों और खेतों से लौटकर पेड़ों या झोपड़ियों के नीचे शरण लेने लगे। उसी वक्त तेज गर्जना के साथ बिजली गिरी और ये तीनों चपेट में आ गईं।
घटना के तुरंत बाद गांव में अफरा-तफरी मच गई और लोग दौड़कर मौके पर पहुंचे।
“हम लोग खेतों से लौटे ही थे, तभी तेज आवाज हुई और चीखने की आवाज आई।”
— स्थानीय ग्रामीण
जनप्रतिनिधियों की तत्परता और राहत कार्य
घटना की जानकारी मिलते ही शीशी पंचायत के मुखिया विजय उरांव, नावागढ़ पंचायत के मुखिया प्रवेश उरांव, और उपमुखिया विनोद उरांव तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तीनों ने अपने निजी वाहन से घायलों को लातेहार सदर अस्पताल भिजवाया।
डॉक्टरों की टीम ने घायलों का प्राथमिक उपचार शुरू कर दिया है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, सभी की हालत अब स्थिर बताई जा रही है, पर आगे की निगरानी जारी है।
“प्रशासन से आग्रह है कि पीड़ित परिवारों को आपदा राहत कोष से मुआवजा मिले और घायलों के इलाज में कोई कमी न हो।”
— मुखिया विजय उरांव
बढ़ते खतरे और सावधानी की ज़रूरत
गांव के लोगों ने इस घटना के बाद बारिश और तूफान के दौरान खुले मैदान या पेड़ के नीचे खड़े न होने की सलाह दी है। हर साल झारखंड में आकाशीय बिजली की घटनाओं से कई लोगों की जान जाती है, और ग्रामीण इलाकों में इसकी मार अधिक देखी जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश शुरू होते ही मोबाइल का उपयोग, पेड़ के नीचे खड़े रहना और पानी से भरे खेतों में जाना खतरे को बढ़ाता है।
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