हाइलाइट्स:
- डाल्टेनगंज धर्मप्रांत बिशप थियोडोर मस्कारेन्हास ने किया मिस्सा अर्पण।
- महुआडांड़, मायापुर, गारू और अन्य चर्चों में हुई विशेष प्रार्थनाएं।
- चालीसा काल में अच्छाइयों को अपनाने और बुराइयों को त्यागने का संदेश।
- श्रद्धालुओं के माथे पर राख लगाकर पवित्र महीने का शुभारंभ।
चालीसा काल का शुभारंभ
बुधवार को राख (ऐश) बुधवार के साथ कैथोलिक विश्वासियों का चालीसा काल शुरू हो गया। डाल्टेनगंज धर्मप्रांत के बिशप थियोडोर मस्कारेन्हास ने महुआडांड़ मायापुर और गारू के मारोमार जंगल के सुरकुमी गांव में श्रद्धालुओं के लिए रखबुध मिस्सा अर्पण किया।
उन्होंने इस अवसर पर कहा –
“हर वर्ष की तरह इस बार भी हम चालीसा काल में प्रवेश कर रहे हैं। यह हमारे लिए आत्मनिरीक्षण और आत्मशुद्धि का समय है।”
आत्मा को पवित्र बनाए रखने का संदेश
बिशप थियोडोर मस्कारेन्हास ने कहा कि –
“आज आपके माथे पर राख लगाकर यह एहसास कराया जाता है कि यह शरीर मिट्टी से बना है और मिट्टी में ही मिल जाएगा। लेकिन आत्मा अमर है। इसलिए हमें इसे पवित्र और सुंदर बनाए रखने के लिए कार्य करना चाहिए।”
उन्होंने प्रेम, भाईचारे, सहयोग, प्रार्थना और उपवास का जीवन जीने का संदेश दिया।
चर्चों में हुई विशेष प्रार्थनाएं
संत जोसफ चर्च महुआडांड़ में फादर सुरेश किंडो ने श्रद्धालुओं से कहा कि –
“इस चालीसा काल में हमें मेल-मिलाप और प्रेम से रहना चाहिए। अपने जीवन की बुराइयों को छोड़ अच्छाइयों को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए।”
श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति
महुआडांड़ प्रखंड के गोठगांव, साले, चेतमा और पकरीपाठ सहित कई चर्चों में विशेष मिस्सा पूजा का आयोजन हुआ। मौके पर फादर और सिस्टर ने उपस्थित ईसाई धर्मावलंबियों के माथे पर राख लगाकर इस पवित्र महीने की शुरुआत की।
इस दौरान हेड प्रचारक आनंद के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे और सभी ने चालीसा काल को आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का समय बताया।
‘न्यूज़ देखो’ की नजर धार्मिक आयोजनों पर
चालीसा काल में लोगों की आस्था और समाज में प्रेम व भाईचारे का संदेश कितना प्रभावी होगा?
क्या यह समय लोगों को आत्मनिरीक्षण और अच्छाइयों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा?
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