
#लातेहार #नक्सलविरोधीअभियान : पुलिस के बढ़ते दबाव और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर शीर्ष नक्सली ने हथियार छोड़े।
लातेहार जिले में नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है, जहां पीएलएफआई के एक लाख के इनामी नक्सली आलोक यादव ने आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण झारखंड सरकार की पुनर्वास नीति और पुलिस के निरंतर दबाव का परिणाम है। पलामू प्रक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक और लातेहार एसपी के समक्ष यह आत्मसमर्पण हुआ। इससे जिले में शांति और सुरक्षा बहाली की दिशा में अहम बढ़त मानी जा रही है।
- पीएलएफआई के एक लाख के इनामी नक्सली आलोक यादव उर्फ चंद्रशेखर यादव ने किया आत्मसमर्पण।
- आत्मसमर्पण पलामू आईजी शैलेंद्र कुमार सिन्हा और एसपी कुमार गौरव के समक्ष।
- नक्सली के खिलाफ विभिन्न थानों में 35 मामले दर्ज।
- वर्ष 2007 से अलग-अलग उग्रवादी संगठनों से जुड़ा रहा।
- सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का मिलेगा लाभ।
- लातेहार में नक्सल विरोधी अभियान रहेगा पूरी सख्ती के साथ जारी।
लातेहार जिले में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे सघन अभियानों का असर अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। पुलिस की लगातार सख्त कार्रवाई और खुफिया तंत्र की मजबूती के कारण नक्सली संगठन दबाव में हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को पीएलएफआई के एक लाख रुपये के इनामी नक्सली आलोक यादव उर्फ चंद्रशेखर यादव ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसे जिले की पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
शीर्ष अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण
यह आत्मसमर्पण पलामू प्रक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक शैलेंद्र कुमार सिन्हा एवं लातेहार पुलिस अधीक्षक कुमार गौरव के समक्ष हुआ। आत्मसमर्पण के बाद अधिकारियों ने आलोक यादव को पुष्पगुच्छ और सॉल भेंट कर मुख्यधारा में लौटने पर बधाई दी। मौके पर अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह सफलता जिले में चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों, बेहतर खुफिया सूचनाओं और लगातार बनाए गए दबाव का प्रतिफल है।
नक्सली गतिविधियों का लंबा इतिहास
लातेहार पुलिस अधीक्षक कुमार गौरव ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली के आपराधिक इतिहास की जानकारी देते हुए कहा:
कुमार गौरव ने कहा: “आलोक यादव वर्ष 2007 में पीएलएफआई संगठन से जुड़ा था। वर्ष 2011 में उसकी गिरफ्तारी हुई थी। जेल से बाहर आने के बाद 2012 में वह प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन जेजेएमपी में शामिल हो गया। इसके बाद पुनः गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत से बाहर आने पर वह फिर से पीएलएफआई में सक्रिय हो गया।”
पुलिस के अनुसार, आलोक यादव के खिलाफ जिले के विभिन्न थानों में कुल 35 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें नक्सली गतिविधियों से जुड़े गंभीर आरोप शामिल हैं।
पुलिस के दबाव में छोड़ा नक्सल पथ
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, लातेहार और आसपास के इलाकों में नक्सलियों के विरुद्ध चलाए जा रहे सघन अभियानों ने उग्रवादी संगठनों की कमर तोड़ दी है। लगातार गिरफ्तारी, मुठभेड़ और नेटवर्क ध्वस्त होने के कारण आलोक यादव के पास कोई विकल्प नहीं बचा, जिसके बाद उसने आत्मसमर्पण का रास्ता चुना।
पुनर्वास नीति के तहत मिलेगा लाभ
पुलिस महानिरीक्षक शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत सभी निर्धारित सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, ताकि वह समाज की मुख्यधारा में सम्मानजनक जीवन जी सके।
उन्होंने अन्य भटके युवाओं से भी अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार की नीति का लाभ लें।
शांति और विकास के लिए सख्त रुख जारी
लातेहार पुलिस ने दो टूक शब्दों में स्पष्ट किया कि जिले में शांति, सुरक्षा और विकास को बाधित करने वालों के खिलाफ अभियान आगे भी पूरी सख्ती के साथ जारी रहेगा। वहीं, जो युवा भटकाव में आकर नक्सली गतिविधियों से जुड़ गए हैं और अब मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, उनके लिए पुलिस और प्रशासन के दरवाजे खुले हैं।
जिले में सुरक्षा व्यवस्था को मिली मजबूती
इस आत्मसमर्पण को न केवल पुलिस की रणनीतिक सफलता माना जा रहा है, बल्कि इससे नक्सली नेटवर्क पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आत्मसमर्पण से अन्य सक्रिय नक्सलियों में भी संदेश जाएगा और वे हिंसा का रास्ता छोड़ने पर मजबूर होंगे।

न्यूज़ देखो: नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक बढ़त
आलोक यादव का आत्मसमर्पण दर्शाता है कि लातेहार पुलिस की रणनीति सही दिशा में आगे बढ़ रही है। सरकार की पुनर्वास नीति और सख्त कार्रवाई का यह संतुलन नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक साबित हो रहा है। अब सवाल यह है कि शेष नक्सली कब मुख्यधारा में लौटने का साहस दिखाएंगे। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
हिंसा छोड़िए, विकास से जुड़िए
झारखंड का भविष्य शांति, शिक्षा और विकास में है, न कि हिंसा और भय में।
भटके युवाओं के लिए आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति एक नया अवसर है।
इस खबर पर अपनी राय साझा करें, इसे आगे बढ़ाएं और शांति की इस पहल को मजबूत बनाएं।





