
#लोहरदगा #विधिकजागरूकता कार्यक्रम को बनाया न्यायिक सशक्तिकरण का मंच
- झारखंड हाईकोर्ट की न्यायाधीश ने किया लोहरदगा के नये न्यायालय भवन का लोकार्पण
- 12 में से 8 न्याय भवन तैयार, बाकी पर तेजी से हो रहा कार्य
- सिविल वादों के 2000 से ज्यादा मामले लंबित, न्यायाधीशों की कमी पर जताई चिंता
- बॉक्साइट, शिक्षा और खेल के क्षेत्र में बच्चों को आगे बढ़ाने की वकालत
- मुख्यमंत्री योजनाओं के तहत लाभार्थियों को सौंपे गए करोड़ों के चेक और स्वीकृति पत्र
- ई-सेवा केंद्र, हेल्थ और लीगल स्टॉल्स का भी हुआ उद्घाटन और निरीक्षण
लोहरदगा न्यायमंडल को न्यायिक विकास की नई सौगात
लोहरदगा में शनिवार को विधिक जागरूकता-सह-सशक्तिकरण शिविर का आयोजन एक ऐतिहासिक अवसर बन गया, जब न्यायमूर्ति श्रीमति अनुभा रावत चौधरी, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय-सह-प्रशासनिक न्यायाधीश, लोहरदगा न्यायमंडल ने व्यवहार न्यायालय परिसर में नये न्यायालय भवन का उद्घाटन किया। उनके आगमन पर न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं और आम लोगों में उत्साह का माहौल रहा।
अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित नया भवन
लोहरदगा को मिला नया न्यायालय भवन न केवल भव्यता में श्रेष्ठ है, बल्कि यह आधुनिक न्यायिक सुविधाओं से लैस है। कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष डालसा, राजकमल मिश्रा ने कहा कि यह भवन आम जनता और न्यायिक अधिकारियों के लिए सुविधाजनक रहेगा, जिससे न्याय प्रक्रिया सुगम और तेज होगी।
लंबित मामलों पर चिंता, न्यायाधीशों की कमी का मुद्दा
शिविर के दौरान लोहरदगा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार पुजारी ने बताया कि जिले में सिविल वादों की संख्या 2000 से अधिक है, जिनका वर्षों से निपटारा नहीं हो पाया है। इस पर न्यायमूर्ति अनुभा रावत चौधरी ने कहा:
“न्यायाधीशों की कमी की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। बार एसोसिएशन एक प्रस्ताव तैयार कर उच्च न्यायालय को भेजे ताकि स्थायी समाधान निकले।”
अधिवक्ताओं को मिला नया बार भवन और लाइब्रेरी
कार्यक्रम में यह भी जानकारी दी गई कि जिले को नया बार भवन भी मिला है, जहां प्रारंभ में 40 अधिवक्ता बैठ सकेंगे और भविष्य में यह संख्या 100 तक बढ़ाई जाएगी। वहां न्यायिक अध्ययन के लिए एक लाइब्रेरी भी उपलब्ध कराई जाएगी। इससे अधिवक्ताओं के कार्यक्षेत्र में सुविधा और दक्षता दोनों बढ़ेंगी।
सामाजिक योजनाओं के लाभार्थियों को सौंपे गए चेक और पत्र
शिविर में मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के अंतर्गत पूनम उरांव को 22 लाख, सुदर्शन कुमार को 24 लाख, तिलेंद्र उरांव को 9.5 लाख और अमनदीप को 9.4 लाख रुपये का चेक दिया गया। इसके अलावा प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, अबुआ आवास योजना, बिरसा सिंचाई योजना, और आंगनवाड़ी सहायिका नियुक्ति जैसी योजनाओं के लाभार्थियों को स्वीकृति और नियुक्ति पत्र भी प्रदान किए गए।
गोदभराई, अन्नप्राशन और गृह प्रवेश जैसे सामाजिक कार्य भी शामिल
शिविर में केवल विधिक नहीं बल्कि सामाजिक आयामों को भी जोड़ा गया। रस्ती कुजूर और सविता कच्छप की गोदभराई रस्म, सीमा कुमारी को गृह प्रवेश और दो बच्चों का अन्नप्राशन न्यायमूर्ति के हाथों सम्पन्न हुआ, जिससे कार्यक्रम एक समावेशी मंच बन गया।
ई-सेवा केंद्र और बहु-विभागीय स्टॉल्स का भी हुआ उद्घाटन
न्यायमूर्ति चौधरी ने ई-सेवा केंद्र का उद्घाटन भी किया, जिससे अब न्यायिक सेवाएं डिजिटल रूप में आम जनता को सुलभ होंगी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग समेत कई विभागों के स्टॉल का निरीक्षण कर जन-जागरूकता के प्रयासों की सराहना की।
कार्यक्रम की गरिमा में शामिल रहे ये प्रमुख अधिकारी
कार्यक्रम में झालसा की सदस्य सचिव रंजना अस्थाना, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय सुभाष, एडीजे-I स्वयंभू, एडीजे-II नीरजा आसरी, सीजेएम केके मिश्रा, सिविल जज अभिषेक कुमार, एसडीजेएम जया स्मिता कुजूर, उपायुक्त डॉ वाघमारे प्रसाद कृष्ण, पुलिस अधीक्षक हारिस बिन जमां, वन प्रमंडल पदाधिकारी अभिषेक कुमार, और उप विकास आयुक्त दिलीप प्रताप सिंह शेखावत समेत कई न्यायिक व प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
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