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मां गढ़देवी मंदिर: अगाध आस्था का केंद्र, संतान प्राप्ति की पूरी होती है चाहत

सोनू कुमार, गढ़वा

गढ़वा शहर में स्थित मां गढ़देवी का नाम आते ही लोगों का मन श्रद्धा से भर जाता है। यहां के भक्तों की मान्यता है कि मां गढ़देवी से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मंदिर की प्रतिष्ठा गढ़वा ही नहीं, बल्कि आसपास के तीन राज्यों में भी फैली हुई है। मंदिर कई दशकों पहले बनाया गया था और तभी से यह आस्था का केंद्र बना हुआ है। आइए, आज हम आपको इस ऐतिहासिक मंदिर की ओर ले चलते हैं, जहां हर दिन श्रद्धालु मां के दर्शन और पूजन के लिए उमड़ते हैं।

गढ़वा शहर का नाम भी इस मंदिर से जुड़ा है। सैकड़ों वर्ष पूर्व स्थापित यह मंदिर, मां गढ़देवी की महिमा और आस्था का प्रतीक है। स्थानीय लोग मानते हैं कि मां गढ़देवी की कृपा से जीवन की हर कठिनाई का समाधान मिलता है। भक्तों का कहना है कि देवी मां से जो भी कुछ मांगो, वह अवश्य मिलता है। मंदिर में सालों से विशेष अनुष्ठान और पूजा-अर्चना की जाती है, खासकर शारदीय नवरात्र के दौरान यहां भक्तों की भीड़ और भक्ति का माहौल देखते ही बनता है।

महाष्टमी के दिन मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु मां के दर्शन और पूजन के लिए जुटे हुए हैं। कोई मां गढ़देवी की पूजा में लीन है, तो कोई अन्य देवी-देवताओं की पूजा कर रहा है। श्रद्धालुओं का कहना है कि उनकी हर मनोकामना यहां पूरी होती है, चाहे वह संतान प्राप्ति की हो या किसी अन्य अभिलाषा की।

मंदिर न्यास समिति के सदस्यों का कहना है कि नवरात्रि के नौ दिनों में भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। अष्टमी से लेकर दशमी तक मंदिर में इतनी भीड़ होती है कि उसे नियंत्रित करना प्रशासन के लिए भी चुनौती बन जाता है। यहां सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, मनोकामना पूरी होने पर विशेष पूजा के साथ बलि चढ़ाने की भी प्रथा है।

जो लोग मैहर विंध्याचल या वैष्णो देवी नहीं पहुंच पाते, उनके लिए मां गढ़देवी के दर्शन का अनुभव भी उतना ही पवित्र माना जाता है। यहां आकर श्रद्धालु अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति की उम्मीद लिए मां गढ़देवी की शरण में आते हैं।

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