
#डुमरी #दुर्गापूजा : श्रद्धालुओं की भीड़ और धार्मिक आयोजनों से महापर्व का अद्भुत संगम
- डुमरी प्रखंड में महानवमी पर पूजा पंडालों और मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
- नव दुर्गा की पूजा और कन्या पूजन की परंपरा निभाई गई।
- बच्चों के लिए जादू शो और महिलाओं द्वारा भक्ति गीतों ने माहौल को जीवंत बनाया।
- शाम को भजन-कीर्तन और आरती के साथ भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला।
- भंडारे का आयोजन कर हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
महानवमी के अवसर पर डुमरी प्रखंड में श्रद्धा, उत्साह और धार्मिकता का अद्भुत संगम देखने को मिला। सुबह से ही मंदिरों और पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों ने माता रानी की विशेष पूजा-अर्चना कर अपने और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। पूरा प्रखंड क्षेत्र भक्ति और आस्था के रंग में रंगा रहा।
नव दुर्गा की पूजा और कन्या पूजन
नवमी की तिथि पर परंपरा के अनुसार नव दुर्गा की विशेष पूजा संपन्न हुई। इस मौके पर नौ कन्याओं को आमंत्रित कर भोजन और पूजन किया गया। श्रद्धालुओं ने कन्याओं को देवी स्वरूप मानते हुए उनकी आरती उतारी और उन्हें वस्त्र व प्रसाद भेंट किए। इस परंपरा ने गांव-गांव में समाज को जोड़ने और आस्था को मजबूत करने का कार्य किया।
धार्मिक आयोजनों में विविधता
दिनभर मंदिरों और पंडालों में कई कार्यक्रम आयोजित हुए। बच्चों के लिए जादू शो मुख्य आकर्षण रहा, जिसे देखकर छोटे-बड़े सभी आनंदित हुए। महिलाएं पूरे श्रद्धा भाव से भक्ति गीत और आरती में शामिल होती रहीं। मंदिर परिसर में जयकारों से वातावरण गूंजता रहा।
शाम की आरती और भजन-कीर्तन
जैसे-जैसे दिन ढलता गया, श्रद्धा और भक्ति का रंग और गाढ़ा होता गया। शाम को मंदिरों और पंडालों में भजन-कीर्तन और सामूहिक आरती का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। पूजा समितियों के सदस्यों ने बताया कि दशमी के दिन भव्य प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो पूरे क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बनेगी।
भंडारे का आयोजन और सामाजिक एकजुटता
नवमी के अवसर पर सामूहिक भंडारे का आयोजन भी किया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने एक साथ प्रसाद ग्रहण किया। यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि समाज में एकता, भाईचारे और सहयोग की मिसाल भी साबित हुआ।
डुमरी प्रखंड में महानवमी पर आयोजित इन धार्मिक अनुष्ठानों ने एक बार फिर से यह संदेश दिया कि मां दुर्गा की आराधना केवल आस्था का पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और सामूहिक एकजुटता का प्रतीक भी है।

न्यूज़ देखो: महापर्व ने बढ़ाई सामाजिक एकजुटता
डुमरी में मनाई गई महानवमी ने दिखाया कि पर्व सिर्फ धार्मिक मान्यता तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वे समाज को जोड़ने और सामूहिक चेतना को जगाने का कार्य भी करते हैं। भक्ति और उत्साह से सराबोर इन आयोजनों ने लोगों को एक सूत्र में बांधा।
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पर्व से समाज को जोड़ने की प्रेरणा
डुमरी की महानवमी का यह उत्सव हमें सिखाता है कि धर्म और संस्कृति केवल पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सहयोग का आधार हैं। जब पूरा समाज मिलकर उत्सव मनाता है, तो भाईचारे की डोर और मजबूत होती है। आइए, हम सब इस परंपरा को आगे बढ़ाएं।
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