
#Latehar #EducationCrisis : ग्रामीणों की जांच और स्थायी शिक्षकों की मांग तेज
- महुआडांड़ प्रखंड के कई स्कूल पारा शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं।
- शिक्षकों की भारी कमी से बच्चों की पढ़ाई गंभीर रूप से प्रभावित।
- एक ही शिक्षक को कई कक्षाओं की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है।
- पूर्व विधायक हरेकृष्णा सिंह और भाजपा नेता संजय जायसवाल ने जताई नाराजगी।
- ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से जांच और स्थायी नियुक्ति की मांग की।
सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी
लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में सरकारी स्कूलों की हालत चिंताजनक हो गई है। कई विद्यालयों का संचालन पूरी तरह पारा शिक्षकों के भरोसे हो रहा है। नामांकन संख्या पर्याप्त होने के बावजूद नियमित शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि कुछ विद्यालयों में सिर्फ एक या दो पारा शिक्षक पूरे स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इससे स्थिति और गंभीर हो गई है, क्योंकि एक ही शिक्षक को कई-कई कक्षाओं की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बनी चुनौती
ग्रामीणों के अनुसार, सरकार की ओर से बेहतर शिक्षा देने का दावा किया जाता है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई बिल्कुल अलग है। विद्यालयों में न तो पर्याप्त शिक्षक हैं और न ही बुनियादी सुविधाएं। इस कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना बेहद मुश्किल हो गया है।
पूर्व विधायक हरेकृष्णा सिंह ने कहा: “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों का भविष्य संकट में है। सरकार को अविलंब शिक्षकों की नियुक्ति करनी चाहिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को भी समान अवसर मिल सके।”
नेताओं ने जताई नाराजगी, जल्द सौंपेंगे मांग पत्र
इसी मुद्दे पर भाजपा मंडल अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी चिंता जताई।
संजय जायसवाल ने कहा: “पारा शिक्षकों के भरोसे पूरा शिक्षा तंत्र नहीं चलाया जा सकता। सरकार को स्थायी शिक्षकों की बहाली पर प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके लिए हम जल्द ही उच्च अधिकारियों से मिलकर मांग पत्र सौंपेंगे।”
ग्रामीणों की प्रशासन से सख्त मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच कर स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। साथ ही, विद्यालयों में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि बच्चों का शिक्षा का अधिकार सुरक्षित रहे।
न्यूज़ देखो: शिक्षा की नींव को मजबूत करने की जरूरत
महुआडांड़ की स्थिति बताती है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। पारा शिक्षकों पर अत्यधिक निर्भरता बच्चों के भविष्य से समझौता है। सरकार को स्थायी नियुक्ति और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी, ताकि ग्रामीण इलाकों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संभव हो।
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