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घाघरा बीमरला पंचायत में निर्माणाधीन राजी पड़हा भवन में भारी अनियमितताएँ उजागर

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#घाघरा #भ्रष्टाचार : ग्रामीणों ने राजी पड़हा सह प्रार्थना सभा भवन में घटिया सामग्री, मानकों की अनदेखी और लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई
  • घाघरा बीमरला पंचायत में निर्माण कार्य में अनियमितता।
  • भवन में घटिया तीन नंबर ईंटों का उपयोग।
  • मोर्टार में 10:1 मिश्रण का गलत अनुपात।
  • लिंटन ढलाई बिना सरिया और बिना रिंग के।
  • कनीय अभियंता व तकनीकी सहायक मौके से नदारद।

घाघरा प्रखंड के बीमरला पंचायत में कल्याण विभाग द्वारा बन रहे राजी पड़हा सह प्रार्थना सभा भवन के निर्माण में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। ग्रामीणों के अनुसार संवेदक द्वारा गुणवत्ता की कोई परवाह नहीं की जा रही है और सरकारी धन का दुरुपयोग खुलेआम किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान भवन निर्माण स्थल पर कई ऐसी कमियां देखी गईं जो न केवल तकनीकी मानकों का उल्लंघन हैं बल्कि भवन की सुरक्षा और दीर्घायु पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं।

घटिया ईंटों के उपयोग पर ग्रामीणों की कड़ी नाराजगी

स्थानीय लोगों ने बताया कि भवन निर्माण में निर्धारित एक नंबर ईंटों की जगह तीन नंबर ईंटों का उपयोग किया जा रहा है। ये ईंटें बेहद कमजोर हैं और थोड़े दबाव में टूट जाती हैं, जिससे भवन की मजबूती पहले ही दिन से संदिग्ध हो जाती है। ग्रामीणों ने कहा कि इतनी बड़ी सरकारी योजना में भी घटिया सामग्री का प्रयोग होना प्रशासनिक लापरवाही और संवेदक की मनमानी को दर्शाता है।

10:1 मोर्टार मिश्रण से भवन की सुरक्षा पर खतरा

निर्माण स्थल पर किए गए निरीक्षण में पाया गया कि सीमेंट और बालू का मिश्रण 10:1 के अनुपात में तैयार किया जा रहा है। तकनीकी मानकों के मुताबिक यह अनुपात बहुत कमजोर माना जाता है और दीवारों की मजबूती को गंभीर नुकसान पहुँचाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतना कमजोर मोर्टार किसी भी भवन को अल्प समय में जर्जर कर सकता है और यह एक बड़ा जोखिम है।

लिंटन ढलाई में सरिया और रिंग का न होना गंभीर लापरवाही

सबसे बड़ा खुलासा लिंटन ढलाई के दौरान सरिया और रिंग के पूरी तरह गायब होने का हुआ है। लिंटन किसी भी भवन की संरचना का अहम हिस्सा होता है और इसमें सरिया का उपयोग अनिवार्य है। सरिया व रिंग के बिना ढलाई किया जाना भवन की सुरक्षा के साथ सीधा खिलवाड़ माना जा रहा है। ग्रामीणों ने इसे भ्रष्टाचार और लापरवाही का सबसे गंभीर उदाहरण बताया।

निगरानी तंत्र पूरी तरह फेल, अधिकारी नदारद

ग्रामीणों का कहना है कि इस निर्माण कार्य की निगरानी करने वाला कोई नहीं है। विभागीय कनीय अभियंता और तकनीकी सहायक दोनों ही मौके पर अनुपस्थित रहते हैं, जिससे संवेदक को खुली छूट मिल गई है। इसी कारण से निर्माण गुणवत्ता और तकनीकी मानकों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है।

स्थानीय लोगों का आरोप और कार्रवाई की माँग

स्थानीय लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा:

“तकनीकी निगरानी के अभाव में संवेदक को खुली छूट मिल गई है, जिससे सरकारी पैसे का बंदरबांट हो रहा है। घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करके भवन की गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है।”

ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से तुरंत जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि दोषी संवेदक और लापरवाह अधिकारी दोनों पर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि सरकारी धन और सार्वजनिक सुविधा से जुड़ा यह महत्वपूर्ण भवन सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण तरीके से बन सके।

न्यूज़ देखो: सार्वजनिक भवनों में गुणवत्ता सुनिश्चित करना अनिवार्य

राजी पड़हा भवन जैसे सामुदायिक ढांचों में घटिया निर्माण न केवल सरकारी धन की बर्बादी है बल्कि जनता की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। जब निगरानी तंत्र कमजोर पड़ता है तो भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। यह आवश्यक है कि प्रशासन त्वरित कार्रवाई करे और दोषियों पर सख्त कदम उठाए ताकि जनता का भरोसा कायम रहे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जिम्मेदारी और जागरूकता से ही बदलेगी तस्वीर

भवन निर्माण में पारदर्शिता और गुणवत्ता तभी सुनिश्चित होगी जब नागरिक, प्रशासन और निर्माण एजेंसियां अपनी जिम्मेदारी समझें। समय है कि हम सभी मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएँ और अपने क्षेत्र के विकास कार्यों पर सतर्क निगरानी रखें। अपनी राय साझा करें और इस खबर को समुदाय में फैलाएँ ताकि जागरूकता बढ़े और सकारात्मक बदलाव की राह मजबूत हो।

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