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गिरिडीह के महेशमरवा मॉडल विद्यालय हॉस्टल में बड़ी लापरवाही उजागर, मानक से कम गुणवत्ता की छड़ पकड़ी गई

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#गिरिडीह #निर्माण_अनियमितता : जांच में मॉडल विद्यालय हॉस्टल की ढलाई में निर्धारित मानकों से कम मोटाई की छड़ उपयोग किए जाने का मामला सामने आया—ढलाई तुरंत रोकी गई।
  • महेशमरवा (धनवार) में निर्माणाधीन मॉडल विद्यालय हॉस्टल में अनियमितता का आरोप।
  • ग्रामीणों ने 20 सूत्री अध्यक्ष शफीक अंसारी को दी शिकायत।
  • छत में 10 एमएम की जगह 8 एमएम, बीम में 16 एमएम की जगह 12 एमएम की छड़ मिली।
  • शफीक अंसारी ने मौके पर पहुँचकर जेई से पूछताछ की।
  • मामले की गंभीरता देखते हुए ढलाई रोकने का निर्देश दिया गया।
  • अंसारी बोले—लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगी।

गिरिडीह : धनवार प्रखंड के महेशमरवा स्थित निर्माणाधीन मॉडल विद्यालय हॉस्टल में गंभीर निर्माण अनियमितता का मामला उजागर हुआ है। स्थानीय ग्रामीणों ने आशंका जताई कि संवेदक द्वारा कार्य में घटिया गुणवत्ता की छड़ें उपयोग की जा रही हैं, जिससे भवन की मजबूती और सुरक्षा दोनों पर सवाल खड़े होते हैं। शिकायत मिलते ही 20 सूत्री अध्यक्ष सह झामुमो जिला संगठन सचिव शफीक अंसारी तुरंत मौके पर पहुँचे और स्थिति की जांच की।

जांच के दौरान उन्होंने पाया कि छत ढलाई में 10 एमएम के बजाय 8 एमएम की छड़ें बांधी गई थीं, जबकि बीम में 16 एमएम के बदले 12 एमएम की छड़ें लगाई गई थीं। यह अंतर न केवल निर्माण मानकों का खुला उल्लंघन है, बल्कि भविष्य में भवन की स्थायित्व क्षमता को भी प्रभावित करने वाला गंभीर मुद्दा है।

शिकायत पर पहुँचे शफीक अंसारी, जेई से पूछा जवाब

ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण कार्य में लंबे समय से गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे थे। कई बार ध्यान दिलाने के बावजूद संवेदक की ओर से सुधार नहीं किया गया। मामले की जानकारी मिलते ही शफीक अंसारी मौके पर पहुंचे और संबंधित जूनियर इंजीनियर (जेई) से पूरी स्थिति पर टेलीफोन पर बात की।

जेई ने बताया कि उन्हें ढलाई शुरू होने की जानकारी ही नहीं थी, जिससे निर्माण कार्य की निगरानी पर भी सवाल खड़े हो गए। तकनीकी जांच में मानकों के विपरीत सामग्री का उपयोग स्पष्ट रूप से सामने आने के बाद अंसारी ने तुरंत ढलाई रुकवाने का आदेश दिया।

मानक से कम छड़ लगाने से खतरा क्यों?

विशेषज्ञों के अनुसार छत और बीम निर्माण में निर्धारित मोटाई से कम स्टील उपयोग करने पर भवन की संरचनात्मक मजबूती प्रभावित होती है। दीर्घकाल में ऐसी गड़बड़ी इमारत को कमजोर बना सकती है और दुर्घटना की आशंका बढ़ा सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी भवनों में इस तरह की लापरवाही बेहद चिंताजनक है।

“एस्टीमेट के अनुसार ही होगा कार्य”—शफीक अंसारी

शफीक अंसारी ने मौके पर मौजूद संवेदक और कर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि—

“निर्माण कार्य एस्टीमेट के अनुसार ही होगा। किसी भी तरह की लापरवाही या मानक से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकारी भवनों में गुणवत्ता से समझौता जनता के साथ धोखा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि पूरी घटना की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी जाएगी और निर्माण की निरंतर निगरानी सुनिश्चित की जाएगी।

न्यूज़ देखो: निर्माण कार्यों में निगरानी क्यों जरूरी?

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी भवनों के निर्माण में अक्सर गुणवत्ता को लेकर शिकायतें सामने आती हैं। समय पर निगरानी और तकनीकी टीम की सक्रियता ही ऐसी अनियमितताओं को रोक सकती है। महेशमरवा का मामला फिर यह साबित करता है कि स्थानीय स्तर पर जागरूकता और शिकायत तंत्र की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

विकास कार्यों में जनता की भागीदारी जरूरी

पब्लिक प्रोजेक्ट्स तभी सफल होते हैं, जब जनता सजग होकर निर्माण गुणवत्ता पर नजर रखे। आप भी अपने क्षेत्र में किसी भी सरकारी कार्य में गड़बड़ी देखें तो तुरंत स्थानीय प्रतिनिधियों या प्रशासन को जानकारी दें। इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में लिखें, और विकास कार्यों में सकारात्मक भूमिका निभाएं।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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