
#रांची #प्रशासनिकनेतृत्व : 1993 बैच के IAS अधिकारी अविनाश कुमार बने मुख्य सचिव — सेवानिवृत्त अलका तिवारी की जगह संभाली जिम्मेदारी।
- अविनाश कुमार 1993 बैच के IAS अधिकारी, बने झारखंड के नए मुख्य सचिव।
- अलका तिवारी 30 सितंबर को सेवानिवृत्त, उनकी जगह संभाली कमान।
- अविनाश कुमार रहे अपर मुख्य सचिव, विकास आयुक्त, ऊर्जा विभाग प्रमुख।
- झारखंड ऊर्जा विकास निगम और बिजली वितरण निगम के अध्यक्ष-सह-MD भी रहे।
- नई नियुक्ति से प्रशासन में नई ऊर्जा और पारदर्शिता की उम्मीद।
रांची में प्रशासनिक स्तर पर बड़ा बदलाव हुआ है। राज्य सरकार ने 1993 बैच के वरिष्ठ IAS अधिकारी अविनाश कुमार को झारखंड का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है। उन्होंने 1988 बैच की अधिकारी और निवर्तमान मुख्य सचिव अलका तिवारी की जगह ली, जो 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो गईं। इस महत्वपूर्ण पद पर पहुंचने के साथ ही उनसे यह उम्मीद की जा रही है कि वे अपने व्यापक अनुभव और रणनीतिक सोच के बल पर राज्य प्रशासन को नई दिशा देंगे और जनता को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराएंगे।
अविनाश कुमार का व्यापक प्रशासनिक अनुभव
अविनाश कुमार का करियर उनकी बहुआयामी जिम्मेदारियों और मजबूत नेतृत्व क्षमता का परिचायक रहा है। मुख्य सचिव बनने से पहले वे कई अहम पदों पर कार्यरत रहे।
मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव
इस पद पर रहते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय और अन्य विभागों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित किया। उनकी भूमिका ने नीतिगत निर्णयों को तेज गति से लागू करने और धरातल तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया।
विकास आयुक्त की भूमिका
विकास आयुक्त रहते हुए उन्होंने राज्य की विकास योजनाओं और परियोजनाओं की गति बढ़ाई। उनका फोकस अंतर-विभागीय समन्वय पर रहा, जिससे योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित हुआ।
ऊर्जा क्षेत्र में नेतृत्व
ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव के रूप में उन्होंने बिजली आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने और नीतियों को मजबूत करने की दिशा में काम किया।
झारखंड ऊर्जा विकास निगम में अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक रहते हुए उन्होंने ऊर्जा उत्पादन और प्रबंधन से जुड़ी रणनीतियों को लागू किया। वहीं झारखंड बिजली वितरण निगम के प्रबंध निदेशक रहते हुए उपभोक्ताओं तक विश्वसनीय बिजली आपूर्ति पहुंचाने की चुनौती को संभाला।
प्रशासनिक नेतृत्व में बदलाव का महत्व
मुख्य सचिव राज्य सरकार का सर्वोच्च प्रशासनिक पद होता है। इसकी जिम्मेदारी पूरे शासन तंत्र की निगरानी और विभागों के बीच तालमेल बनाए रखने की होती है। अलका तिवारी के सेवानिवृत्त होने के बाद अविनाश कुमार का चयन यह दर्शाता है कि राज्य सरकार प्रशासन को और अधिक परिणामोन्मुख और पारदर्शी बनाना चाहती है।
झारखंड वर्तमान समय में विकास, उद्योग, ऊर्जा, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में अविनाश कुमार के अनुभव और रणनीतिक दृष्टिकोण से उम्मीद है कि वे राज्य को नई दिशा देंगे।
जनता और प्रशासन की उम्मीदें
राज्य के लोग और प्रशासनिक तंत्र अब इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि नए मुख्य सचिव किन प्राथमिकताओं पर काम करेंगे। विशेषकर ऊर्जा और विकास के क्षेत्र में उनकी पिछली कार्यशैली को देखते हुए आम जनता को भरोसा है कि वे योजनाओं को तेजी से धरातल पर उतारेंगे और शासन को और अधिक जनता-केंद्रित बनाएंगे।
ऐसा मानना है कि: “अविनाश कुमार की नियुक्ति से प्रशासन में नई ऊर्जा आएगी और राज्य की नीतियों के क्रियान्वयन को गति मिलेगी।”
आगे की राह
अब यह देखना होगा कि अविनाश कुमार राज्य सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को किस तरह लागू करते हैं। उनकी प्राथमिकताओं में न केवल विभागीय समन्वय बल्कि जनता तक सेवा पहुंचाने की गुणवत्ता भी होगी।
न्यूज़ देखो: झारखंड को नए नेतृत्व से उम्मीदें
अविनाश कुमार की नियुक्ति झारखंड प्रशासन में नई सोच और ऊर्जा का संकेत है। यह बदलाव राज्य की चुनौतियों को अवसरों में बदलने का प्रयास माना जा रहा है। अब यह जिम्मेदारी नए मुख्य सचिव पर है कि वे जनता का भरोसा मजबूत करें और प्रशासन को और अधिक जवाबदेह बनाएं।
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जिम्मेदार नेतृत्व से बेहतर भविष्य
झारखंड प्रशासन अब एक नई दिशा में कदम बढ़ा चुका है। अविनाश कुमार जैसे अनुभवी अधिकारी के नेतृत्व में यह उम्मीद करना स्वाभाविक है कि राज्य की चुनौतियों का समाधान खोजने में तेजी आएगी। जनता को बेहतर सेवाएं और पारदर्शी प्रशासन मिले, यही आने वाले समय का संकल्प है।
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