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सिमडेगा में भूमि विवाद पर बड़ा खुलासा: फरसावेडा निवासी पद्म नवरंगी ने शपथ पत्र देकर रखा पूरा तथ्य

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#सिमडेगा #भूमि_विवाद : गोतरा मौजा की कई प्लॉटों पर खरीद-बिक्री के अधिकार को लेकर पद्म नवरंगी ने शपथपत्र में कही महत्वपूर्ण बातें
  • पद्म नवरंगी, उम्र 47 वर्ष, निवासी फरसावेडा, ने भूमि संबंधी पूरे मामले पर शपथपत्र दाखिल किया।
  • संबंधित भूमि मौजा गोतरा, थाना संख्या 82, जिला सिमडेगा में स्थित, खाता संख्या 257 के अंतर्गत आती है।
  • जमीन मालिक वीनिफ्रेड एक्का ने दिनांक 22.11.2022 को नवरंगी के साथ एकरारनामा किया था।
  • एकरारनामा के अनुसार जमीन की खरीद-बिक्री का पूर्ण अधिकार पद्म नवरंगी के पास सुरक्षित है।
  • जमीन मालिक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अधिकृत करने की सूचना हाल ही में 08.12.2025 को अखबार में प्रकाशित हुई।
  • इस संदर्भ में स्पष्टता के लिए 11.12.2025 को शपथपत्र (शपथ संख्या 21614) प्रस्तुत किया गया।

सिमडेगा में भूमि विवाद से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फरसावेडा निवासी पद्म नवरंगी ने आधिकारिक रूप से शपथपत्र प्रस्तुत करके जमीन संबंधी स्थिति को सार्वजनिक किया है। यह शपथपत्र विशेष रूप से मौजा गोतरा की उन जमीनों से संबंधित है, जिन्हें लेकर वर्ष 2022 में एकरारनामा किया गया था। हाल ही में अखबार में प्रकाशित एक सूचना के बाद इस मामले में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिसे स्पष्ट करने के लिए नवरंगी ने 11 दिसंबर 2025 को यह विधिवत शपथपत्र दाखिल किया।

एकरारनामा का पूरा विवरण

शपथपत्र के अनुसार, दिनांक 22 नवंबर 2022 को जमीन मालिक वीनिफ्रेड एक्का और शपथकर्ता पद्म नवरंगी के बीच एकरारनामा किया गया था। यह एकरारनामा मौजा गोतरा, खाता संख्या 257 में दर्ज निम्नलिखित प्लॉटों से संबंधित है:

  • प्लॉट संख्या 3302, रकबा 0.62 एकड़
  • प्लॉट संख्या 2279, रकबा 3.02 एकड़
  • प्लॉट संख्या 2536, रकबा 1.33 एकड़
  • प्लॉट संख्या 2537, रकबा 1.39 एकड़
  • प्लॉट संख्या 2538, रकबा 2.87 एकड़

इन प्लॉटों की कुल रकबा कई एकड़ में फैली एक महत्वपूर्ण भूमि का हिस्सा है, जिसकी खरीद-बिक्री और प्रबंधन की ज़िम्मेदारी एकरारनामा के अनुसार पद्म नवरंगी के हाथों में दी गई थी।

खरीद–बिक्री का अधिकार किसके पास?

एकरारनामा की शर्तों के मुताबिक, इन सभी जमीनों की खरीद-बिक्री, रजिस्ट्री, आवंटन तथा किसी भी प्रकार की भूमि संबंधी प्रक्रिया केवल पद्म नवरंगी के माध्यम से ही की जा सकती है। इस समझौते के बाद जमीन मालिक वीनिफ्रेड एक्का किसी अन्य व्यक्ति के साथ इस जमीन से संबंधित कोई वैधानिक समझौता नहीं कर सकते थे।

समाचार पत्र में प्रकाशित सूचना से उत्पन्न विवाद

दिनांक 08 दिसंबर 2025 को स्थानीय दैनिक समाचार पत्र में यह आम सूचना प्रकाशित हुई कि उक्त भूमि को जमीन मालिक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से क्रय-विक्रय हेतु अधिकृत किया गया है। इस सूचना के बाद स्थानीय स्तर पर भ्रम उत्पन्न हो गया और विभिन्न पक्षों द्वारा इसकी सत्यता पर सवाल उठने लगे।

इसी विवाद को स्पष्ट करने के लिए पद्म नवरंगी ने दिनांक 11 दिसंबर 2025 को शपथ संख्या 21614 के साथ आधिकारिक शपथपत्र दाखिल किया, जिसमें उन्होंने पूरे मामले को विस्तार से प्रस्तुत किया।

शपथपत्र में क्या कहा गया?

शपथकर्ता ने अपने बयान में स्पष्ट किया:

पद्म नवरंगी ने कहा: “एकरारनामा वर्ष 2022 में विधिवत संपन्न हुआ था। इसके बाद किसी भी तीसरे पक्ष को जमीन से जुड़े लेन-देन के लिए अधिकृत किए जाने का प्रश्न ही नहीं उठता। इसी कारण मैंने यह शपथपत्र प्रस्तुत किया है ताकि सही तथ्य सार्वजनिक हो सके।”

कानूनी स्थिति क्या दर्शाती है?

भूमि कानून विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई एकरारनामा वैध रूप से किया गया है और उस पर दोनों पक्षों की सहमति दर्ज है, तो भूमि से जुड़े अधिकार उसी के आधार पर तय होते हैं। ऐसे में किसी तीसरे व्यक्ति को अधिकार देने की प्रक्रिया कानूनी विवाद की स्थिति उत्पन्न कर सकती है।

स्वाभाविक है कि इस मामले में आगे जिला प्रशासन या संबंधित राजस्व कार्यालय से भी प्रमाणित दस्तावेजों की जांच पड़ताल हो सकती है।

विवाद के सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव

सिमडेगा जिला में जमीन संबंधी विवादों की संख्या समय-समय पर बढ़ती रही है। ऐसे मामलों का समय पर समाधान न होने से ग्रामीणों और खरीदारों दोनों के सामने कठिनाइयाँ खड़ी हो जाती हैं। इस प्रकरण में भी यही स्थिति देखने को मिली, जहाँ अखबार में प्रकाशित सूचना से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई थी।

स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि यदि सभी पक्ष दस्तावेजों की पारदर्शिता बनाए रखें और प्रशासनिक स्तर पर भी सही समय पर सत्यापन होता रहे, तो ऐसे विवादों से बचा जा सकता है।

आगे क्या होगा?

शपथपत्र दाखिल होने के बाद अब यह मामला प्रशासन द्वारा जांच के दायरे में आ सकता है। यह भी संभव है कि जमीन मालिक और शपथकर्ता दोनों से अलग-अलग बयान लिए जाएं और मूल दस्तावेजों की पुष्टि की जाए।
मामला संवेदनशील होने के कारण अगली प्रक्रिया कानून के दायरे में ही आगे बढ़ेगी।

न्यूज़ देखो: भूमि विवादों में पारदर्शिता की जरूरत

यह मामला बताता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि संबंधी दस्तावेजों की पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है। एक छोटी सी सूचना भी विवाद खड़ा कर सकती है, यदि तथ्य स्पष्ट न हों। प्रशासन को ऐसे मामलों में त्वरित सत्यापन कर जनता को भरोसा दिलाना चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जिम्मेदारी से आगे बढ़ें — दस्तावेजों की सुरक्षा ही आपकी शक्ति

भूमि दस्तावेज सिर्फ कागज नहीं होते, बल्कि भविष्य की सुरक्षा और स्थिरता का आधार होते हैं। नागरिकों को चाहिए कि वे हर समझौते, हर प्रक्रिया और हर दस्तावेज की प्रति सुरक्षित रखें, ताकि किसी भी विवाद की स्थिति में सत्य स्पष्ट रहे।

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Birendra Tiwari

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