
#लातेहार #कोयला_परियोजना : पीवीयूएनएल ने एटे गांव स्थित 5.35 एकड़ अधिग्रहीत भूमि का पहला भौतिक कब्जा लिया
- पीवीयूएनएल ने एटे गांव की 5.35 एकड़ भूमि का प्रथम भौतिक कब्जा प्राप्त किया।
- कब्जा प्रक्रिया का नेतृत्व महाप्रबंधक एन. के. मल्लिक ने किया, मार्गदर्शन सीईओ अशोक कुमार सहगल का रहा।
- मौके पर एम. चन्द्रशेखर, आर. बी. सिंह, अमरेश चंद्र राउल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद।
- भूमि मालिक लाल रंजन नाथ शाहदेव, ग्रामीण एवं पंचायत प्रतिनिधियों ने प्रक्रिया में सहयोग दिया।
- परियोजना पतरातू विद्युत संयंत्र को नियमित कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करेगी, जिससे झारखंड को 85% बिजली प्राप्त होगी।
- शेष भूमि का कब्जा जल्द, इसके बाद मशीनरी स्थापना, अवसंरचना निर्माण और कोयला उत्पादन की प्रक्रिया तेज होगी।
लातेहार जिले में स्थित बनहरदी कोयला खनन परियोजना ने शनिवार को अपनी प्रगति के महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश किया, जब परियोजना प्रबंधन ने ग्राम एटे स्थित 5.35 एकड़ अधिग्रहित भूमि का प्रथम भौतिक कब्जा विधिवत रूप से प्राप्त कर लिया। झारखंड की ऊर्जा क्षमता को मजबूती देने वाली इस परियोजना के लिए यह उपलब्धि खदान संचालन को गति देने वाला बड़ा कदम मानी जा रही है। इस अवसर पर भूमि पर परियोजना का आधिकारिक बोर्ड स्थापित किया गया, जिसके साथ प्रक्रिया को औपचारिक रूप से पूर्ण माना गया।
भूमि कब्जा प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न, वरिष्ठ अधिकारियों की टीम रही मौजूद
भूमि कब्जा कार्य का नेतृत्व बनहरदी कोयला खनन परियोजना के महाप्रबंधक श्री एन. के. मल्लिक ने किया, जबकि परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अशोक कुमार सहगल पूरे अभियान में मार्गदर्शक भूमिका में रहे। अधिकारियों ने बताया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह शांतिपूर्वक, पारदर्शी एवं नियमों के अनुसार पूरी की गई।
कार्यक्रम में अपर महाप्रबंधक श्री एम. चन्द्रशेगर, श्री आर. बी. सिंह, उप महाप्रबंधक श्री अमरेश चंद्र राउल सहित तकनीकी व प्रशासनिक विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। वहीं भूमि स्वामी श्री लाल रंजन नाथ शाहदेव की उपस्थिति ने प्रक्रिया को और अधिक औपचारिक एवं सुचारु बना दिया। ग्रामीणों एवं पंचायत प्रतिनिधियों ने भी इस कार्य में सहयोग देकर परियोजना के प्रति सकारात्मक रुख दर्शाया।
झारखंड की ऊर्जा जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण परियोजना
पीवीयूएनएल की बनहरदी कोयला खनन परियोजना, एनटीपीसी लिमिटेड की सहायक इकाई तथा जेबीवीएनएल के संयुक्त उपक्रम के रूप में विकसित की जा रही है। यह कोल ब्लॉक विशेष रूप से पतरातू विद्युत संयंत्र को कोयला आपूर्ति करने के लिए निर्धारित है। पतरातू प्लांट द्वारा उत्पादित बिजली का 85 प्रतिशत हिस्सा झारखंड को मिलता है, ऐसे में यह परियोजना राज्य की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को स्थायी रूप से सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाएगी।
परियोजना प्रबंधन ने बताया कि CBA एक्ट के तहत अर्जित भूमि का मुआवजा भुगतान पूर्ण होने के बाद भौतिक कब्जा लेना एमओयू का महत्वपूर्ण लक्ष्य था। निर्धारित समयसीमा के भीतर इसे प्राप्त करना परियोजना की तीव्र गति और समन्वित प्रयासों को दर्शाता है।
आगे के चरण—मशीनरी स्थापना से लेकर कोयला उत्पादन तक
परियोजना अधिकारियों के अनुसार, जल्द ही शेष अधिग्रहीत भूमि का कब्जा भी औपचारिक रूप से प्राप्त कर लिया जाएगा। इसके बाद खदान क्षेत्र में मशीनरी स्थापना, सड़क व खनन अवसंरचना निर्माण, और अंततः कोयला उत्पादन कार्य तेजी से शुरू कर दिए जाएंगे।
इन प्रक्रियाओं के पूरा होने के साथ ही पतरातू विद्युत संयंत्र को लगातार और स्थिर कोयला आपूर्ति का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे बिजली उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
स्थानीय ग्रामीणों में उम्मीद—रोजगार और विकास की संभावनाएं
ग्राम एटे एवं आसपास के ग्रामीणों ने परियोजना के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया। उनका मानना है कि खदान संचालन शुरू होने से क्षेत्र में रोजगार के अवसर, सड़क व्यवस्था में सुधार, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और अन्य बुनियादी विकास कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
परियोजना प्रबंधन ने भी स्पष्ट किया कि ग्रामवासियों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सभी कार्य पारदर्शी और संवेदनशील तरीके से किए जाएंगे।
न्यूज़ देखो: ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम
पीवीयूएनएल बनहरदी परियोजना का प्रथम भौतिक कब्जा यह संकेत देता है कि झारखंड आने वाले वर्षों में ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। खदान संचालन से जहां उद्योग जगत को लाभ मिलेगा, वहीं स्थानीय स्तर पर रोजगार और अवसंरचना विकास की राह भी खुलेगी।
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