
#गढ़वा #दीपावली_मेला : धनतेरस से दिवाली तक मिट्टी के दीये, मूर्तियों और खिलौनों की रौनक में डूबेगा टाउनहॉल मैदान
- गढ़वा टाउनहॉल मैदान में तीन दिवसीय ‘मृदा शिल्प मेला’ आयोजित किए जाने की तैयारी।
- मेला धनतेरस से दीपावली तक चलेगा, पारंपरिक मिट्टी कला और उत्पादों को मिलेगा मंच।
- पहल सदर एसडीएम संजय कुमार की, आयोजन में जेएसएलपीएस और स्थानीय संस्थाएं होंगी सहभागी।
- स्थानीय कुम्हारों को दीये, मूर्तियाँ और खिलौने बेचने के लिए सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराया जाएगा।
- ग्रामीण आजीविका और पारंपरिक शिल्पकला को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य।
गढ़वा में दीपावली के अवसर पर इस बार कुछ खास होने जा रहा है। सदर एसडीएम संजय कुमार की पहल पर ‘मृदा शिल्प मेला’ आयोजित किए जाने की योजना बनाई गई है, जो धनतेरस से लेकर दीपावली तक तीन दिनों तक चलेगा। यह आयोजन गढ़वा टाउनहॉल मैदान में होगा, जहां स्थानीय कुम्हारों, शिल्पकारों और मिट्टी से जुड़े कलाकारों को एक ही स्थान पर अपने उत्पाद बेचने का अवसर मिलेगा।
कुम्हारों की मांग पर प्रशासन ने दिखाई संवेदनशीलता
हाल ही में आयोजित “कॉफी विद एसडीएम” कार्यक्रम में स्थानीय कुम्हारों और मृदा कलाकारों ने अपनी समस्या रखी थी। उन्होंने बताया कि हर साल दीपावली के दौरान उन्हें सड़क किनारे या चौक-चौराहों पर असुरक्षित माहौल में मिट्टी के दीये, बर्तन और मूर्तियाँ बेचनी पड़ती हैं, जिससे न केवल उनकी सुरक्षा पर असर पड़ता है बल्कि ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था की स्थिति भी बनती है।
इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम संजय कुमार ने निर्णय लिया कि दीपावली के अवसर पर इन कलाकारों के लिए एक सुरक्षित और व्यवस्थित स्थल उपलब्ध कराया जाए। इसी उद्देश्य से “मृदा शिल्प मेला” आयोजित किए जाने का निर्णय लिया गया है, जो न केवल उनकी बिक्री को बढ़ावा देगा बल्कि पारंपरिक कला को भी सम्मान देगा।
मेला आयोजन में स्थानीय संस्थाओं की भागीदारी
यह आयोजन झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की ओर से प्रस्तावित किया गया है। इसमें स्थानीय जेएमडी हीरो एजेंसी और कुछ सामाजिक कार्यकर्ता भी प्रायोजक (स्पॉन्सर) के रूप में सहयोग करेंगे। आयोजन स्थल पर मिट्टी से बने दीये, मूर्तियाँ, खिलौने, कुल्हड़ और अन्य हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री होगी।
मेला के दौरान कलाकारों के लिए सुरक्षित स्टॉल, प्रकाश व्यवस्था और पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी ताकि वे निश्चिंत होकर अपना व्यापार कर सकें।
एसडीएम संजय कुमार ने कहा: “यह मेला केवल व्यापार का अवसर नहीं, बल्कि पारंपरिक मृदा कला के पुनर्जीवन का माध्यम है। दीपावली पर स्थानीय कुम्हारों के हाथों के बने दीये खरीदकर हमें ग्रामीण आजीविका को सशक्त बनाना चाहिए।”
स्थानीय उत्पादों की खरीद से बढ़ेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
एसडीएम ने कहा कि स्थानीय कारीगरों के उत्पादों की खरीदारी से न केवल पारंपरिक कला को संरक्षण मिलेगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। उन्होंने आम जनता से अपील की कि इस दीपावली पर स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए गए दीये और मूर्तियाँ ही खरीदें।
एसडीएम ने कहा: “अगर हम हर त्योहार पर स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देंगे तो गांवों की खुशहाली अपने आप लौट आएगी। हर दीया, हर मूर्ति किसी परिवार के रोज़गार से जुड़ी होती है।”

न्यूज़ देखो: मिट्टी की खुशबू से जुड़ी है असली रोशनी
गढ़वा प्रशासन की यह पहल स्थानीय कलाकारों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। मृदा शिल्प मेला न केवल पारंपरिक कला को नया जीवन देगा, बल्कि ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सहारा भी प्रदान करेगा। दीपावली जैसे पर्व पर यह सामाजिक समरसता और स्थानीय गौरव का प्रतीक बनेगा।
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दीपावली की रोशनी में जगमगाए स्थानीय हुनर
यह दीपावली सिर्फ दीयों की नहीं, बल्कि उन हाथों की है जो इन्हें बनाते हैं। स्थानीय कुम्हारों के श्रम को सम्मान देने के लिए हमें आगे आना होगा।
आइए इस पर्व पर “मेक इन गढ़वा” का संदेश फैलाएं — अपने घरों को मिट्टी के दीयों से सजाएं और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाएं।
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