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गढ़वा में मानस मंडली बिशनपुर इकाई द्वारा श्री सुंदरकांड पाठ का आयोजन

#गढ़वा #भक्ति : 556वां सुंदरकांड पाठ, रामभक्तों की उमड़ी श्रद्धा और उत्साह

गढ़वा जिले के पिपरा खुर्द में आज एक भव्य धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ। मानस मंडली बिशनपुर इकाई द्वारा साप्ताहिक संगीत के अंतर्गत श्री सुंदरकांड पाठ, श्री रामचरितमानस पाठ और अखंड पाठ का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम श्रद्धालु बृजेश कुमार पांडे के निवास स्थान पर संपन्न हुआ, जिसमें भक्तों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

पूजा और पाठ की शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत श्री राम दरबार पर पुष्पमाला अर्पित करने के साथ हुई। धूप, दीप और मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना कर आयोजन का शुभारंभ किया गया। सभी सदस्यों की उपस्थिति ने माहौल को भक्ति और श्रद्धा से परिपूर्ण बना दिया।

सुंदरकांड पाठ का महत्व

कार्यक्रम के दौरान 556वां सुंदरकांड पाठ संपन्न किया गया। भक्तों का विश्वास है कि सुंदरकांड का पाठ करने से घर में सुख-शांति आती है, रोगों और संकटों से मुक्ति मिलती है और विश्व कल्याण होता है। उपस्थित वक्ताओं ने भी यह संदेश दिया कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए तथा मंगलवार और शनिवार को सुंदरकांड पाठ करना चाहिए।

परंपरा और निरंतरता

मानस मंडली पिछले 14 वर्षों से लगातार भक्तों के आदेश अनुसार मंदिरों, घरों और शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में सुंदरकांड पाठ का आयोजन कर रही है। पलामू प्रमंडल ही नहीं बल्कि अयोध्या और वाराणसी जैसे पवित्र स्थलों पर भी इस परंपरा को निभाया जा रहा है।

श्रद्धालुओं की उपस्थिति

इस अवसर पर प्रमुख रूप से अरुण दुबे, संयोजक द्वारकानाथ पांडे, बृजेश कुमार पांडे, आत्मा पांडे, अमरेंद्र कुमार मिश्रा, अशोक पटवा, अधिवक्ता सतीश चौबे, सियाराम पांडे, मार्कंडेय तिवारी, राकेश तिवारी, दिलीप श्रीवास्तव, रघुपति सिंह, मनोज दुबे, राकेश रंजन चौबे, भोला चौधरी, शेखर सिन्हा, मुकेश सिन्हा, सुबोध प्रसाद और विजय तिवारी सहित 125 से अधिक रामभक्त उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में प्रसाद और महाप्रसाद का वितरण किया गया।

न्यूज़ देखो: भक्ति और समाज को जोड़ती परंपरा

गढ़वा में 14 वर्षों से निरंतर चल रही सुंदरकांड पाठ की यह परंपरा न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि समाज को एक सूत्र में पिरोने का भी माध्यम है। ऐसी धार्मिक गतिविधियाँ सामाजिक एकजुटता, सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा और भावी पीढ़ियों को आस्था से जोड़ने का सशक्त साधन हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

भक्ति में शक्ति, समाज में एकता

सुंदरकांड पाठ जैसे आयोजन यह संदेश देते हैं कि श्रद्धा और आस्था में अपार शक्ति है। अब समय है कि हम सब इस आध्यात्मिक परंपरा से जुड़कर समाज में शांति, भाईचारा और सकारात्मकता फैलाएँ। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि भक्ति और जागरूकता का संदेश और आगे पहुँचे।

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