महुआडांड़ के सोहर गांव की मंजू देवी की गढ़वा में आकाशीय बिजली से मौत, मासूम बेटी और एक अन्य युवक झुलसे

#महुआडांड़ #प्राकृतिक_आपदा — मजदूरी के लिए गई मां-बेटी पर गिरा आसमानी कहर, गांव में पसरा मातम

मजदूरी के लिए गढ़वा गई थी मां-बेटी, बिजली गिरने से मौत और झुलसने की घटना

लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड अंतर्गत सोहर गांव निवासी मंजू देवी, जो कि मात्र 20 वर्ष की थीं, अपनी 5 वर्षीय पुत्री श्रुति कुमारी के साथ मजदूरी के लिए गढ़वा जिले के बिशुनपुरा थाना क्षेत्र के अमहर गांव में गई थीं। मंगलवार दोपहर अचानक मौसम खराब हुआ और तेज गर्जना के साथ बारिश शुरू हो गई। मजदूरी कर रहे लोगों का समूह गांव के पास ईंट भट्ठे के समीप आम चुनने लगा, उसी दौरान तेज आकाशीय बिजली गिरी

इस प्राकृतिक आपदा में मंजू देवी की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं उनकी बेटी श्रुति कुमारी और उत्तर प्रदेश के चोपन निवासी 20 वर्षीय युवक अजय कुमार गंभीर रूप से झुलस गए। स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाते हुए घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका इलाज जारी है।

गांव में छाया मातम, मां-बेटी पर टूटा दुख का पहाड़

जैसे ही यह दुखद खबर महुआडांड़ के सोहर गांव पहुंची, गांव में मातमी सन्नाटा छा गया। ग्रामीणों और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मंजू देवी अपने परिवार की आजीविका के लिए छोटी उम्र में ही मजदूरी कर रही थीं और बच्ची को साथ लेकर गढ़वा गई थीं।

प्रशासन ने किया मुआयना, सहायता का भरोसा

गढ़वा प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर हादसे की जानकारी ली और मृतका के परिजनों से संपर्क साधा। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि पीड़ित परिवार को सरकारी प्रावधानों के तहत मुआवजा और अन्य आवश्यक सहायता दी जाएगी। दूसरी ओर, महुआडांड़ प्रखंड प्रशासन से भी ग्रामीणों ने अपेक्षा जताई है कि मृतका के आश्रितों को समुचित सहयोग दिया जाए।

ग्रामीणों ने उठाई मुआवजा और स्थायी समाधान की मांग

घटना के बाद स्थानीय लोगों ने कहा कि मजदूरी करने वाले लोग अक्सर दूसरे जिलों में जोखिम उठाकर काम करते हैं। प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा को लेकर प्रशासन को स्थायी समाधान की दिशा में पहल करनी चाहिए। ग्रामीणों ने मंजू देवी के परिवार को आर्थिक सहायता, बच्ची की शिक्षा और पुनर्वास की विशेष व्यवस्था की मांग की है

न्यूज़ देखो: मेहनतकश मजदूरों की अनसुनी दास्तान

महुआडांड़ की मंजू देवी की मौत केवल एक हादसा नहीं, बल्कि उन हजारों गरीब परिवारों की हकीकत है जो पेट की आग बुझाने दूर-दराज इलाकों में मजदूरी करते हैं। ‘न्यूज़ देखो’ ऐसे जमीनी मामलों को उठाकर प्रशासन से सवाल करता है कि सुरक्षा और सम्मान के साथ मजदूरों की जिंदगी कब सुनिश्चित होगी? यह हादसा बताता है कि कुदरत के कहर से बचाने के लिए प्रशासनिक सतर्कता और राहत नीति की कितनी आवश्यकता है
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सजग बनें, जिम्मेदार बनें

प्राकृतिक आपदाएं बताकर जाती नहींं, लेकिन हमारे समाज और शासन को उनसे बचाव की तैयारी अवश्य रखनी चाहिए। आइए, हम सब मिलकर मजदूरों, महिलाओं और बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए आवाज़ उठाएं
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