- ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह की एमपी-एमएलए विशेष अदालत में पेशी हुई।
- गवाहों की अनुपस्थिति के कारण गवाही नहीं हो सकी, अगली तिथि 31 जनवरी निर्धारित।
- इस मामले में अब तक 10 गवाहों ने घटना का समर्थन किया है।
- मामला 2017 में महागामा में सड़क दुर्घटना और उसके बाद हुए सड़क जाम से संबंधित है।
- एफआईआर में भादवि की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया था।
कोर्ट में पेशी और गवाहों की अनुपस्थिति:
ग्रामीण विकास मंत्री और महगामा की कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह शनिवार को एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय में पेश हुईं। एमपी-एमएलए विशेष न्यायाधीश सह एसडीजेएम मोहित चौधरी के न्यायालय में गवाहों का बयान दर्ज होना था, लेकिन गवाहों की अनुपस्थिति के कारण गवाही नहीं हो सकी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी को निर्धारित की गई है।
पूर्व में हुई गवाहियों का समर्थन:
इससे पहले की सुनवाई में तीन पुलिस पदाधिकारियों ने गवाही दी थी, और सभी गवाहों ने घटना का समर्थन किया था। अब तक अभियोजन पक्ष ने न्यायालय में कुल 10 गवाहों को प्रस्तुत किया है, जिनमें से अधिकांश ने घटना का समर्थन किया है।
मामले का विवरण:
यह मामला वर्ष 2017 का है, जब महागामा में सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति घायल हुआ था। इसके बाद आक्रोशित लोगों ने सड़क जाम कर दिया था। इस दौरान, कांग्रेस के तत्कालीन जिलाध्यक्ष के रूप में दीपिका पांडेय सिंह घटनास्थल पर पहुंची थीं। इस घटना के संबंध में थाना कांड संख्या 72/2017 में भादवि की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें 147, 149, 353, 332, 427, 283, 504, 506 और 120बी जैसी धाराओं में केस दर्ज किया गया था।
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