
#लातेहार #सामूहिकविवाह : बैगा टोली, बरदौनी कला गांव में जनजातीय रीति-रिवाजों के अनुसार पांच जोड़ों का विवाह — जनजाति सुरक्षा मंच की अहम भूमिका में हुआ आयोजन।
- पांच जोड़ी वर-कन्याओं का सामूहिक विवाह पारंपरिक जनजातीय वैदिक विधि से संपन्न
- बरदौनी कला (बैगा टोली), पंचायत दुरूप, थाना नेतरहाट में हुआ आयोजन
- जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यकर्ताओं ने निभाई केंद्रीय भूमिका
- मुख्य बैगा किसुन मुण्डा समेत कई समाजसेवियों का रहा योगदान
- विवाह समारोह में गांव समाज का व्यापक सहयोग और उत्साह देखा गया
जनजातीय संस्कृति की छवि को संजोता पारंपरिक विवाह समारोह
दिनांक 09 जून 2025, दिन सोमवार को लातेहार जिले के नेतरहाट थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बरदौनी कला (बैगा टोली) में एक भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया। जनजातीय वैदिक परंपरा और रीति-रिवाजों के अनुसार कुल पांच जोड़ों ने वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया।
इस समारोह में स्थानीय ग्रामीणों और जनजातीय समुदाय के लोगों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की और अपने रीति-रिवाजों के माध्यम से समाज की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत किया।
जनजाति सुरक्षा मंच और समाजसेवियों की रही सराहनीय भूमिका
इस पुनीत आयोजन में जनजाति सुरक्षा मंच के माननीय कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई। मुख्य रूप से श्री अजय उरांव, श्री बालेश्वर बड़ाईक, श्री बुधना बैगा, श्री बितुन मुण्डा, श्री रामकुमार सिंह, श्री संजय सिंह, श्री बिगन नगेसिया, जीवन जी, प्रदीप नाग जी तथा धर्मेंद्र जी समेत गांव घर के समाज के लोगों ने आयोजन को सफल बनाने में सहयोग दिया।
मुख्य बैगा श्री किसुन मुण्डा द्वारा वैदिक जनजातीय विधि से विवाह संस्कार कराए गए, जिससे पूरे वातावरण में पारंपरिक पवित्रता और सामाजिक एकता की झलक दिखी।
ये जोड़े बंधे वैवाहिक जीवन के बंधन में
इस सामूहिक विवाह में शामिल पांच नवविवाहित जोड़े इस प्रकार हैं:
- भीम मुण्डा संग नीलमणि किस्पोट्टा
- संदीप मुण्डा संग अनिमा देवी
- राजन मुण्डा संग राजमुनी देवी
- सन्तु मुण्डा संग अमृता देवी
- भजु मुण्डा संग सुग्गा देवी
इन सभी नवविवाहित जोड़ों को समाज की ओर से आशीर्वाद मिला और पूरे गांव ने मिलकर इस पारंपरिक आयोजन को सामूहिक उत्सव के रूप में मनाया।

न्यूज़ देखो: जनजातीय संस्कृति की जीवंत परंपरा
इस सामूहिक विवाह ने यह दिखा दिया कि जनजातीय समाज की परंपराएं आज भी जीवंत हैं और सामूहिक सहभागिता से कैसे सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित किया जा सकता है। जनजाति सुरक्षा मंच जैसे संगठनों की भूमिका यह साबित करती है कि समाज यदि एकजुट हो तो संस्कार, सहयोग और समरसता के बल पर बड़ी मिसाल पेश कर सकता है।
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