मेदिनीनगर बालिका गृह में बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण के मामले ने झारखंड में प्रशासनिक तंत्र की विफलता को उजागर किया है। भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है।
बाबूलाल मरांडी का बयान:
मरांडी ने कहा कि बाल संरक्षण आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अधिकारी और बालिका गृह का प्रबंधन, जिन पर बच्चियों की सुरक्षा का दायित्व है, वे ही इस शर्मनाक कृत्य में लिप्त पाए गए हैं। उन्होंने कहा:
“यह घटना न केवल प्रशासनिक तंत्र की असफलता है, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की संवेदनहीनता को भी दर्शाती है।”
उन्होंने मुख्यमंत्री से दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की ताकि पीड़ित बच्चियों को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
प्रमुख खुलासे:
- सीडब्ल्यूसी सदस्य धीरेंद्र किशोर पर आरोप है कि उन्होंने बालिका गृह की नाबालिग बच्चियों की तस्वीरें खींचकर व्हाट्सऐप के माध्यम से गंदी-गंदी बातें की और काउंसलर पर गलत कार्यों का दबाव बनाया।
- बालिका गृह के संचालक राम प्रताप गुप्ता और काउंसलर प्रियंका पर भी बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार और यौन शोषण में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं।
- अधिकारियों ने बच्चियों को डराकर बयान बदलने की धमकी दी।
- नाबालिग बच्चियों के मामलों का निबटारा अक्सर नियमों के खिलाफ मौखिक आदेशों के माध्यम से किया गया।
मुख्यमंत्री से अपील:
मरांडी ने कहा कि इस मामले में उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कर दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने पीड़ित बच्चियों को न्याय देने के लिए सरकार से त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की अपील की।
आवश्यक कदम:
- दोषी अधिकारियों और प्रबंधन की गिरफ्तारी।
- बालिका गृहों की सुरक्षा और संचालन में पारदर्शिता।
- बाल संरक्षण तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए सख्त नियम।
यह घटना राज्य के बाल संरक्षण तंत्र के प्रति एक गंभीर चेतावनी है। इसे रोकने के लिए प्रशासन और सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी शर्मनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।