Garhwa

मेराल: 2 महीने बाद चार साल की बच्ची माता-पिता से मिली, बाल कल्याण समिति ने निभाई अहम भूमिका

गढ़वा में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने बुधवार को चार साल की बच्ची को उसके माता-पिता से मिलाकर मानवीय कार्य का उदाहरण प्रस्तुत किया। बच्ची लगभग दो महीने पहले अपने माता-पिता से गढ़वा बस स्टैंड पर बिछड़ गई थी।

घटना का विवरण

10 अक्टूबर को बच्ची गढ़वा बस स्टैंड पर उस समय अपने माता-पिता से अलग हो गई, जब वे कोसियारा के ईंट भट्ठे पर काम करने जा रहे थे। एक अज्ञात व्यक्ति ने बच्ची को मझिआंव के एक होटल में छोड़ दिया। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने बच्ची को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को सौंप दिया।

बच्ची के माता-पिता का पता लगाने की प्रक्रिया

  • बच्ची की कम उम्र और संवाद में असमर्थता के कारण उसके परिवार का पता लगाना कठिन था।
  • लोहरदगा ग्राम स्वराज संस्था, चाइल्ड हेल्पलाइन और बाल संरक्षण अधिकारियों ने मिलकर मझिआंव के ईंट भट्ठों और संभावित स्थलों पर बच्ची की तस्वीर के साथ खोजबीन की।
  • दो महीने की मेहनत के बाद मेराल के कोलोदोहर पंचायत-तिसरटेटूका निवासी तेतर भुइंया और उनकी पत्नी की पहचान हुई।

समाजसेवा का कदम

बालिका को रांची बालिका गृह से लाकर सभी कागजी कार्यवाही पूरी कर माता-पिता को सौंपा गया। चेयरमैन प्रणव कुमार ने बताया कि बच्ची के माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उनके पुनर्वास के लिए आवास, राशन कार्ड, और आंगनबाड़ी जैसी सुविधाएं दिलाने के लिए संबंधित विभागों से संपर्क किया जाएगा।

संवेदनशीलता का परिचय

इस घटना ने प्रशासन और बाल कल्याण समिति की संवेदनशीलता को प्रदर्शित किया है। गरीब परिवारों की मदद के लिए किए गए प्रयास प्रशंसा के योग्य हैं।

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