- मेराल प्रखंड में मनरेगा के तहत 22 वेंडरों का पंजीकरण
- भौतिक सत्यापन में अधिकतर दुकानें केवल कागजों पर पाई गईं
- फर्जी बिलिंग के जरिए सरकारी धन की हो रही निकासी
- BDO सतीश भगत ने दोषियों पर कार्रवाई का दिया आश्वासन
भौतिक सत्यापन में उजागर हुआ घोटाला
मेराल (गढ़वा): प्रखंड में मनरेगा योजना के तहत सामग्री आपूर्ति करने वाले वेंडरों की दुकानें सिर्फ कागजों में चल रही हैं। जांच में सामने आया कि इन वेंडरों के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये की निकासी की जा रही है, जबकि जमीनी हकीकत में इनकी कोई मौजूदगी नहीं है।
मनरेगा के तहत 22 वेंडरों का पंजीकरण किया गया है, लेकिन जब भौतिक सत्यापन हुआ तो अधिकतर दुकानें सिर्फ कागजी निकलीं। मेराल, हासनदाग, गेरुआ, सिरहे, पिंडरा, संगबरिया, दलेली, रजबंधा, रजहरा, खोलरा, अकलवानी, गोंदा और तेनार समेत कई गांवों में रजिस्टर्ड दुकानों का कोई ठोस अस्तित्व नहीं पाया गया।
बड़े नामों की भी संलिप्तता!
जांच में पाया गया कि मेसर्स जेके इंटरप्राइजेज, आरएस कंस्ट्रक्शन और आलमगीर अंसारी नामक तीन वेंडरों के पंजीकरण में संचालन स्थल का कोई जिक्र ही नहीं किया गया, जिससे संदेह और गहरा गया है। स्थानीय लोग इसे ‘चलती-फिरती दुकानों’ का खेल बता रहे हैं, जहां कागजों पर फर्जी बिल लगाकर सरकारी धन की निकासी की जा रही है।
BDO ने दी सफाई
इस मामले में जब प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) सतीश भगत से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि सभी वेंडरों की जांच कराई जाएगी और जो दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
क्या होगा प्रशासन का अगला कदम?
- क्या सरकारी धन का गबन हो रहा है?
- वेंडरों की सत्यापन रिपोर्ट में इतनी लापरवाही क्यों?
- क्या इस खेल में कोई बड़ा नाम भी शामिल है?
अब देखना होगा कि प्रशासन इस घोटाले पर क्या कदम उठाता है या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा!
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