
#Gumla #BreastfeedingWeek : श्रीनगर आंगनबाड़ी केंद्र में महिलाओं को दी गई उपयोगी जानकारियां—नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर जोर
- डीसी प्रेरणा दीक्षित ने श्रीनगर गांव के आंगनबाड़ी केंद्र का दौरा किया।
- महिलाओं को स्तनपान के महत्व और इसके लाभों की विस्तृत जानकारी दी गई।
- उपायुक्त ने कहा जन्म के पहले छह माह तक केवल स्तनपान जरूरी।
- आंगनबाड़ी केंद्र में शौचालय, पेयजल और किचन व्यवस्था का निरीक्षण।
- मां-बच्चे के स्वास्थ्य और मानसिक विकास पर जोर दिया गया।
गुमला जिले के जारी प्रखंड स्थित श्रीनगर आंगनबाड़ी केंद्र में शनिवार को स्तनपान सप्ताह के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस मौके पर गुमला उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित ने उपस्थित महिलाओं और आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्तनपान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी।
मां का दूध: नवजात के लिए संपूर्ण आहार
उपायुक्त ने कहा कि मां का दूध नवजात शिशु के लिए सबसे उत्तम और संपूर्ण आहार है। यह न केवल कुपोषण से बचाता है, बल्कि शिशु की बीमारियों से लड़ने की क्षमता को भी मजबूत करता है। उन्होंने बताया कि यह आहार शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक है और मां-बच्चे के बीच एक भावनात्मक संबंध को गहरा करता है।
प्रेरणा दीक्षित ने कहा: “मां का दूध शिशु के लिए जीवनदायी है। जन्म के बाद पहले छह माह तक केवल स्तनपान कराना ही सबसे बड़ा उपहार है, जो हर मां अपने बच्चे को दे सकती है।”
माताओं के लिए महत्वपूर्ण अपील
कार्यक्रम में डीसी ने सभी माताओं से पहले छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि चाहे जीवन कितना भी व्यस्त क्यों न हो, मां को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिशु को किसी अन्य आहार की बजाय सिर्फ मां का दूध ही मिले। इससे मां और शिशु दोनों स्वस्थ और निरोगी रहेंगे।
आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण
स्तनपान जागरूकता कार्यक्रम के बाद उपायुक्त ने आंगनबाड़ी केंद्र की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने शौचालय, पेयजल और किचन की स्थिति की बारीकी से समीक्षा की और बेहतर सुविधाओं के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
कार्यक्रम में शामिल लोग
मौके पर सुपरवाइजर रेखा कुमारी, बिनीता देवी, सरोजनी टोप्पो, एमेल्डा मिंज सहित कई अन्य आंगनबाड़ी सेविकाएं और स्थानीय महिलाएं उपस्थित थीं।



न्यूज़ देखो: मातृ स्वास्थ्य और बाल पोषण का संदेश
यह कार्यक्रम न केवल स्तनपान के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि जागरूकता ही स्वस्थ समाज की कुंजी है। जब माताएं इस संदेश को अपनाएंगी, तब ही कुपोषण-मुक्त और स्वस्थ पीढ़ी का निर्माण संभव होगा।
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