मगध विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों पर म्यांमार में फर्जी पीएचडी डिग्री बांटने का आरोप

बोधगया: मगध विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के दो शिक्षकों पर म्यांमार (बर्मा) में फर्जी पीएचडी डिग्री बांटने का आरोप लगा है। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए दोनों शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। आरोप है कि ये शिक्षक 29 अगस्त 2024 को म्यांमार गए थे, जहां उन्होंने बिना किसी आधिकारिक मंजूरी के मगध विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री दी। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जहां म्यांमार की राजधानी यांगून में जारी एक फर्जी पीएचडी डिग्री की तस्वीर सामने आई थी।

स्मार्ट तरीके से हुआ था फर्जीवाड़ा

एफआईआर में यह उल्लेख किया गया है कि बौद्ध अध्ययन विभाग के अंशकालिक व्याख्याता डॉ. विष्णु शंकर और डॉ. कैलाश प्रसाद म्यांमार गए थे, जहां उन्होंने वहां के नागरिकों को फर्जी डिग्री बांटी। इस डिग्री पर 2024 का वर्ष अंकित था और उस समय के कुलपति के हस्ताक्षर भी थे, लेकिन बाद में यह पता चला कि यह डिग्री पूरी तरह से फर्जी थी और विश्वविद्यालय की स्वीकृति के बिना दी गई थी।

पहले भी कई संदिग्ध मामले

यह पहला मामला नहीं है, जब मगध विश्वविद्यालय के नाम पर विदेशों में फर्जी डिग्रियां बांटी गई हों। इससे पहले भी कई विदेशी छात्रों को बिना वीजा प्राप्त किए पीएचडी की डिग्री दी गई थी, हालांकि ये मामले उच्च स्तर पर दबा दिए गए थे। कई बार निगरानी विभाग ने जांच की, लेकिन पैसे और उच्च राजनीतिक संपर्कों के कारण ये मामले रफा-दफा हो गए।

शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज

मगध विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ. उपेन्द्र कुमार द्वारा दर्ज एफआईआर में यह लिखा गया है कि मामले की जांच में डॉ. विष्णु शंकर और डॉ. कैलाश प्रसाद की भूमिका स्पष्ट हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है और कार्रवाई की योजना बनाई है।

यह घटना मगध विश्वविद्यालय के नाम को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है और यह दर्शाती है कि कैसे कुछ लोग अपनी पहुंच और पैसे के बल पर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा देते हैं।

Exit mobile version