
#Mahuadand #SBI_Cash_Crisis — ग्राहकों को महाजन से उधार लेने की नौबत, निजी बैंक भी बेहाल
- महुआडांड़ प्रखंड के एकमात्र भारतीय स्टेट बैंक में नकदी की भारी कमी
- ग्राहक सेवा केंद्रों पर बढ़ा भार, ग्रामीणों को झेलनी पड़ रही परेशानियां
- ईस्टर पास्का और विवाह सीजन में पैसे की जरूरत बढ़ने पर भी नहीं मिल रही राशि
- ग्राहकों ने उठाए त्योहारों पर नकदी संकट के पीछे भेदभाव के सवाल
- बैंककर्मी बोले—“पैसा जमा होते ही मिलेगा भुगतान”
त्योहार और शादियों के बीच कैश संकट बना मुसीबत
महुआडांड़ प्रखंड के भारतीय स्टेट बैंक में पिछले कुछ दिनों से नकदी की किल्लत गंभीर रूप ले चुकी है।
इस कारण क्षेत्र के हजारों ग्राहक जरूरी खर्च के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
खासकर ईसाई समुदाय के लिए महत्वपूर्ण त्योहार ईस्टर पास्का और विवाह सीजन के चलते पैसों की ज़रूरत अधिक है, लेकिन बैंक में पर्याप्त नकदी नहीं होने से स्थिति बिगड़ती जा रही है।
“हमारे खाते में पैसे होने के बावजूद हम खर्च नहीं कर पा रहे हैं। मजबूरी में ब्याज पर उधार लेना पड़ रहा है।”
— स्थानीय ग्रामीण ग्राहक
ग्राहक सेवा केंद्र ही बना सहारा
बैंक में पैसे न मिलने के कारण ग्राहक सेवा केंद्रों पर ज़्यादा भार पड़ गया है।
ग्रामीणों को सीमित नकदी के साथ काम चलाना पड़ रहा है, जिससे वे जरूरी खरीदारी और भुगतान नहीं कर पा रहे।
त्योहार पर नकदी किल्लत को लेकर उठे सवाल
कुछ ग्रामीणों ने बैंक प्रशासन पर त्योहार विशेष पर जानबूझ कर नकदी संकट पैदा करने का आरोप लगाया है।
उनका कहना है कि ईसाई समुदाय का हर प्रमुख त्योहार आते ही नकदी की समस्या बढ़ जाती है, जो चिंता का विषय है।
“ऐसा हर बार होता है जब भी पास्का या क्रिसमस जैसे त्योहार आते हैं, बैंक में पैसे नहीं रहते। यह सिर्फ संयोग नहीं हो सकता।”
— आक्रोशित ग्रामीण महिला ग्राहक
बैंक का जवाब—“पैसा आएगा, तब मिलेगा”
इस मामले पर बैंक कर्मचारियों का कहना है कि जैसे ही नकदी उपलब्ध होगी, ग्राहकों को भुगतान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह आंतरिक सप्लाई चेन की अस्थायी समस्या है, जिसका समाधान शीघ्र हो जाएगा।
न्यूज़ देखो : ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बैंकिंग सेवा बने भरोसेमंद
ऐसे समय में जब डिजिटल और बैंकिंग सेवाएं गांव-गांव तक पहुंच चुकी हैं, तब कैश की कमी ग्रामीणों को पीछे धकेल रही है।
न्यूज़ देखो की अपील है कि बैंकिंग सिस्टम को और अधिक संवेदनशील और समयबद्ध बनाया जाए, ताकि हर वर्ग और समुदाय के साथ न्याय हो और कोई त्योहार परेशानियों में न गुज़रे।