#लातेहार – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है हिंदू नव संवत्सर:
- महुआडांड़ मातृशक्ति दुर्गावाहिनी की ओर से हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं।
- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है नया संवत्सर।
- भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना की थी, मान्यता के अनुसार।
- गुड़ी पड़वा, उगादी जैसे नामों से विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है नववर्ष।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्योदय से दिन की शुरुआत को ही माना गया उचित।
हिंदू नववर्ष का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
महुआडांड़ में मातृशक्ति दुर्गावाहिनी की सदस्यों ने हिंदू नववर्ष को लेकर जागरूकता फैलाई और बताया कि नववर्ष की वास्तविक शुरुआत चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से होती है। इसे हिंदू नव संवत्सर या विक्रम संवत का प्रारंभ भी कहा जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना आरंभ की थी। इसी तिथि से विक्रम संवत का नया वर्ष शुरू होता है। इसे भारत में गुड़ी पड़वा, उगादी, नवरेह आदि नामों से मनाया जाता है।
रात्रि में नहीं, बल्कि सूर्योदय से होता है नववर्ष का स्वागत
महुआडांड़ मातृशक्ति के सदस्यों ने बताया कि रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत करना उचित नहीं। हिंदू पंचांग के अनुसार, नया दिन सूरज की पहली किरण से शुरू होता है।
अंग्रेजी कैलेंडर में रात 12 बजे से नववर्ष की शुरुआत मानना वैज्ञानिक रूप से गलत है, क्योंकि दिन और रात मिलकर ही एक पूरा दिवस बनता है। सही मायने में दिवस की शुरुआत सूर्योदय से होती है और अगले सूर्योदय तक चलता है।
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