
#लातेहार #शिक्षा_संकट : सरयू प्रखंड के मध्य विद्यालय पीरी में जल संकट से बच्चे और शिक्षक परेशान, मिड-डे मील तक बन रहा दूषित पानी से।
- राजकीयकृत मध्य विद्यालय पीरी के 103 छात्र-छात्राएं दो वर्षों से दूषित पानी पीने को मजबूर।
- जलमीनार और चापानल दोनों खराब, मरम्मत के लिए बार-बार शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं।
- कुएं का गंदा पानी न सिर्फ पीने बल्कि मिड-डे मील बनाने में भी इस्तेमाल किया जा रहा।
- प्रधानाध्यापक दिनेश कुमार ने बताया कि आठ महीने पहले बीडीओ को आवेदन देने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
- बच्चों में पेट दर्द, उल्टी और त्वचा रोग जैसी शिकायतें बढ़ीं।
- ग्रामीणों ने प्रशासन और शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
लातेहार जिले के सरयू प्रखंड के राजकीयकृत मध्य विद्यालय पीरी में जल संकट की स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि विद्यालय के 103 बच्चे पिछले दो साल से कुएं का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। विद्यालय परिसर की जलमीनार और चापानल दोनों लंबे समय से खराब पड़े हैं। स्वच्छ पेयजल की अनुपलब्धता के कारण विद्यालय के रसोइए भी मिड-डे मील तैयार करने के लिए खेती के कुएं के पानी का ही उपयोग कर रहे हैं।
दो वर्षों से नहीं मिली राहत, प्रशासन मौन
विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिनेश कुमार ने बताया कि समस्या को लेकर कई बार विभागीय अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
प्रधानाध्यापक दिनेश कुमार ने कहा: “लगातार दो वर्षों से विद्यालय में जल संकट की स्थिति बनी हुई है। आठ महीने पहले बीडीओ को लिखित आवेदन दिया गया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।”
उन्होंने कहा कि इस समस्या के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। पानी की गुणवत्ता बेहद खराब है और गर्मी के दिनों में यह और अधिक दूषित हो जाता है।
मिड-डे मील भी दूषित पानी से तैयार, बच्चों की सेहत पर संकट
विद्यालय में चल रहे मिड-डे मील कार्यक्रम की स्थिति भी चिंताजनक है। बच्चों को जो खाना परोसा जा रहा है, वह भी इसी कुएं के दूषित पानी से तैयार किया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि कुएं का पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाता है और पीने योग्य नहीं है।
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि दूषित पानी पीने से कई बच्चों को पेट दर्द, उल्टी, और त्वचा संबंधी बीमारियाँ हो रही हैं, लेकिन अब तक स्वास्थ्य विभाग या शिक्षा विभाग की कोई टीम जांच के लिए नहीं पहुंची है।
ग्रामीणों में आक्रोश, प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह समस्या केवल जल संकट की नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य और जीवन से जुड़ी है।
स्थानीय निवासी रामनरेश यादव ने कहा कि दो वर्षों से यह स्थिति बनी हुई है, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने सिर्फ आश्वासन दिए, कार्रवाई नहीं।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि शीघ्र ही जलमीनार और चापानल की मरम्मत नहीं की गई, तो यह स्थिति किसी बड़ी बीमारी का कारण बन सकती है। उन्होंने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
न्यूज़ देखो: बच्चों की सेहत के साथ लापरवाही का बड़ा सवाल
पीरी स्कूल की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि यह बताती है कि ग्रामीण शिक्षा प्रणाली में बुनियादी सुविधाओं की कितनी अनदेखी की जा रही है। जब बच्चे स्वच्छ पानी तक से वंचित हैं, तो शिक्षा की गुणवत्ता और स्वास्थ्य दोनों पर सवाल उठना लाज़मी है। जिला प्रशासन को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।
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स्वच्छ जल और शिक्षा – बच्चों का मूल अधिकार
हमारे समाज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिले। शिक्षा के साथ स्वच्छ जल का अधिकार हर बच्चे का बुनियादी हक है। अब समय है कि हम सब मिलकर इस समस्या पर आवाज़ उठाएं ताकि कोई भी बच्चा दूषित पानी पीने को मजबूर न हो।
अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और प्रशासन को कार्रवाई के लिए जागरूक बनाएं — क्योंकि स्वच्छ पानी सिर्फ जरूरत नहीं, जीवन का आधार है।




