#बिष्णुगढ़ #प्रवासीमजदूर : परिजन चिंतित, पत्नी और बूढ़े मां-बाप रोते-रोते बेहाल
- बिष्णुगढ़ निवासी मोहन मांझी दो माह से इंदौर से लापता।
- 7 जुलाई को ठेकेदार प्रकाश सिंह के माध्यम से ट्रांसमिशन लाइन कार्य के लिए गए थे।
- इंदौर स्टेशन से ही लापता, अब तक कोई सुराग नहीं।
- परिवार ने प्रशासन और सरकार से गुहार लगाई।
- प्रवासी मजदूर हितैषी सिकन्दर अली पहुंचे, मदद का भरोसा दिया।
हजारीबाग जिले के बिष्णुगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत अलकोपी निवासी होपन मांझी का 39 वर्षीय पुत्र मोहन मांझी पिछले दो माह से लापता है। परिजनों के अनुसार मोहन 7 जुलाई 2025 को चलनियां निवासी ठेकेदार प्रकाश सिंह के माध्यम से मध्य प्रदेश के इंदौर कमाने गए थे। उन्हें ट्रांसमिशन लाइन का काम करना था, लेकिन परिवार के मुताबिक वह इंदौर स्टेशन से ही लापता हो गए और उसके बाद से अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिला।

परिजनों में भय और निराशा
मोहन मांझी के अचानक गायब हो जाने से उनका परिवार गहरे सदमे में है। पत्नी का कहना है कि अगर उनके पति को कुछ हो गया तो बूढ़े सास-ससुर का सहारा कौन बनेगा। घर की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर है और अब रोज़ी-रोटी का इंतज़ाम करना भी मुश्किल हो गया है।
मोहन के बूढ़े मां-बाप अपने बेटे की याद में रोते-रोते दिन काट रहे हैं। परिजनों ने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया है कि उनके बेटे की तलाश की जाए और उन्हें इंसाफ दिलाया जाए।
मदद का आश्वासन
इस घटना की जानकारी मिलने पर प्रवासी मजदूरों के हितार्थ काम करने वाले सिकन्दर अली मोहन के घर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को ढांढस बंधाया और हर संभव मदद का भरोसा दिया। परिवार को उम्मीद है कि सरकार जल्द ही ठोस कदम उठाकर मोहन को खोजने में मदद करेगी।
न्यूज़ देखो: प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल
मोहन मांझी की गुमशुदगी सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। रोज़ी-रोटी की तलाश में घर से दूर जाने वाले मजदूर अगर सुरक्षित न रहें तो यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल है।
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मजबूर परिवार की पुकार
आज जरूरत है कि समाज और प्रशासन मिलकर लापता मोहन मांझी की खोज में कदम बढ़ाए। यह न सिर्फ एक परिवार के जीवन का सवाल है, बल्कि उन तमाम प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा का मुद्दा भी है जो रोज़गार की तलाश में घर छोड़ते हैं। अपनी राय दें और इस खबर को साझा करें ताकि जिम्मेदार तंत्र तक यह आवाज़ पहुंचे।