गिरिडीह में खनन घोटाला उजागर: 50% पत्थर खदानें ‘नॉट गुड’, 40 करोड़ का जुर्माना वसूला गया

##गिरिडीह #अवैध_खनन – डीसी जांच में खुला बड़ा राज, ग्रामीणों की शिकायत पर एक्शन में आया प्रशासन

डीसी की जांच में खुली खदानों की हकीकत

गिरिडीह जिले में पत्थर खदानों के संचालन को लेकर बड़े अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। डीसी नमन प्रियेश लकड़ा द्वारा कराई गई जांच में सामने आया कि जिले की 50 फीसदी खदानें ‘नॉट गुड’ यानी मानकों पर खरी नहीं उतर रहीं। इनमें से कई खदानों में नियमों की सरेआम अनदेखी करते हुए खनन किया जा रहा हैइन खदानों के संचालन से ग्रामीणों की जानमाल और पर्यावरण दोनों को खतरा पहुंच रहा है

जुर्माने के साथ जारी हैं नई जांचें

डीसी लकड़ा ने बताया कि अब तक ऐसे खनन संचालकों से लगभग 40 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिनके खिलाफ और शिकायतें मिल रही हैं, उनकी भी जांच जारी है। इससे यह साफ होता है कि प्रशासन अब कड़े एक्शन के मूड में है और लापरवाही करने वालों को बख्शने के मूड में नहीं।

ग्रामीणों की शिकायतें बनीं कार्रवाई की नींव

मामला तब और गंभीर हो गया जब जमुआ अंचल के गोविन्दपुरा और तिसरी के बलियारी गांवों के ग्रामीणों ने खुलकर विरोध शुरू किया। ग्रामीणों का आरोप है कि वैध लीज के नाम पर गैरमजरुआ जमीन में भी अवैध खनन किया जा रहा है। बलियारी निवासी अनिल ने कहा कि लीज एरिया से बाहर जाकर खुदाई हो रही है, न कोई बोर्ड लगाया गया है न सुरक्षा की कोई व्यवस्था, यहां तक कि कुआं तक सूख गया है और पेयजल संकट खड़ा हो गया है

खदान संचालक बोले- सब नियम के तहत

दूसरी ओर, इस खदान से जुड़े कमल जैन ने ग्रामीणों के आरोपों को गलत और भ्रामक बताया। उन्होंने कहा:

“बलियारी में अभी काम शुरू ही हुआ है, तो टिल्हा तोड़ने की बात कहां से आई? हम पूरी तरह अपने लीज एरिया में काम कर रहे हैं। सभी कार्य नियमों के तहत किए जा रहे हैं और परियोजना को जल्द ही सुचारू रूप से शुरू किया जाएगा।” — कमल जैन, खनन संचालक

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