
#दिल्ली #जातीय_जनगणना — कार्यशाला में शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा: आदिवासियों की एकता को बाँटने की कोशिश कर रही है केंद्र सरकार
- दिल्ली में आयोजित कार्यशाला में झारखंड की कृषि मंत्री ने आदिवासी समाज के अधिकारों की खुलकर की वकालत
- जातीय जनगणना में आदिवासियों की एकीकृत पहचान दर्ज करने की मांग
- परिसीमन के आधार पर आरक्षित सीटों में कमी की आशंका जताई
- सरना धर्मावलंबियों के लिए अलग कॉलम की वकालत
- बीजेपी और RSS पर आरोप: सामाजिक न्याय को भटका रही है केंद्र सरकार
- आदिवासी समाज को एकजुट और सांस्कृतिक रूप से अखंड बताया
कार्यशाला में आदिवासी अधिकारों पर खुलकर रखी बात
दिल्ली में आज आयोजित “जातिगत जनगणना से आदिवासी समाज पर प्रभाव, चुनौती और समाधान” विषयक कार्यशाला में झारखंड की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि यह एक नाजुक मोड़ है जहाँ आदिवासी समाज की पहचान और राजनीतिक सुरक्षा दांव पर है। उन्होंने परिसीमन पर चिंता जताते हुए कहा:
“अगर पांचवीं अनुसूची वाले राज्यों में जनसंख्या को परिसीमन का आधार बनाया गया, तो आरक्षित सीटों की संख्या में कटौती होगी। यह निर्णय आदिवासी समाज की सुरक्षा और संरक्षण को धूमिल करने वाला होगा।”
बीजेपी और RSS पर आदिवासी पहचान को लेकर तीखा हमला
मंत्री तिर्की ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी जातीय जनगणना के जरिये सामाजिक न्याय का संदेश आगे बढ़ा रही है, जबकि बीजेपी और RSS इसे जानबूझकर उलझा रही हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में जातीय व्यवस्था का कोई स्थान नहीं रहा, और
“बीजेपी आदिवासी समाज पर जबरन जातीय ढांचा थोपने की कोशिश कर रही है।”
जनगणना में एकीकृत पहचान की मांग
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि जनगणना में आदिवासी समुदाय को उप-वर्गों में विभाजित करने के बजाय उनकी मूल और एकीकृत पहचान के साथ दर्ज किया जाना चाहिए। चाहे वो झारखंड हो या मणिपुर, ओडिशा हो या छत्तीसगढ़ — आदिवासी समाज सांस्कृतिक, भावनात्मक और आत्मिक रूप से एकजुट है।
“जब देश के किसी कोने में एक आदिवासी पर हमला होता है, तो वह सिर्फ उस राज्य की नहीं बल्कि पूरे देश के आदिवासी समाज की पीड़ा बन जाती है।”
सरना धर्म को अलग कॉलम में दर्ज करने की अपील
संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए मंत्री तिर्की ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है और कोई भी इससे वंचित न रहे, इसलिए उन्होंने सरना धर्मावलंबियों के लिए जातिगत जनगणना में अलग कॉलम की पुरजोर वकालत की।



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