
#गिरिडीह #शिक्षापहल : तिलोडीह के उत्क्रमित उच्च विद्यालय में बच्चों ने उत्साह से किया स्वागत, पढ़ने की आदत को जीवन का हिस्सा बनाने का संकल्प
- मोबाइल लाइब्रेरी वैन पहुंची उत्क्रमित उच्च विद्यालय, तिलोडीह।
- बच्चों ने पुस्तकों और गतिविधियों में उत्साह से भाग लिया।
- रूम टू रीड इंडिया ट्रस्ट के सुजीत कुमार ने शिक्षकों से अपील की।
- “मेरी किताब, मेरी कहानी” रीडिंग कैंपेन पर दिया जोर।
- बच्चों ने रोजाना बाल साहित्य पढ़ने का शपथ लिया।
गिरिडीह के सिहोडीह स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय, तिलोडीह में आज का माहौल बेहद अलग था। मिशन निपुण भारत के अंतर्गत झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद, राँची द्वारा संचालित मेरा विद्यालय निपुण एवं मैं भी निपुण कार्यक्रम के तहत मोबाइल लाइब्रेरी वैन जब विद्यालय परिसर पहुँची तो बच्चों ने पूरे उत्साह और गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। वैन के माध्यम से बच्चों को पुस्तकों की दुनिया से जोड़ने और पढ़ाई को आनंदमय बनाने का प्रयास किया गया।
बच्चों में दिखा पठन के प्रति उत्साह
मोबाइल लाइब्रेरी वैन में रखी विभिन्न प्रकार की पुस्तकों और गतिविधियों ने बच्चों का मन मोह लिया। वे किताबों को लेकर बेहद उत्साहित दिखे और पठन संबंधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया। बच्चों ने कहा कि इस तरह की पहल से उनकी पढ़ाई और रोचक हो जाएगी।
“मेरी किताब, मेरी कहानी” अभियान का संदेश
इस अवसर पर रूम टू रीड इंडिया ट्रस्ट के डिस्ट्रिक्ट लीड सुजीत कुमार ने शिक्षकों को “मेरी किताब, मेरी कहानी – रीडिंग कैंपेन” के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने अपील की कि प्रत्येक दिन बच्चों के लिए एक निर्धारित समय पुस्तकालय साहित्य पढ़ने के लिए तय किया जाए ताकि पढ़ने की आदत जीवन का हिस्सा बन सके।
सुजीत कुमार (डिस्ट्रिक्ट लीड, रूम टू रीड इंडिया ट्रस्ट):
“पढ़ना एक दिवसीय अभियान नहीं, बल्कि यह हमारी आदत बननी चाहिए। विद्यालय और घर दोनों जगह बच्चों को किताबों से जोड़ना जरूरी है।”
पढ़ने की आदत को जीवन का हिस्सा बनाने का संकल्प
बच्चों ने इस अवसर पर रोजाना बाल साहित्य पढ़ने का शपथ लिया। कार्यक्रम ने न केवल पठन की महत्ता को रेखांकित किया, बल्कि छात्रों में किताबों के प्रति आत्मीयता भी बढ़ाई।

न्यूज़ देखो: शिक्षा में पठन संस्कृति का नया अध्याय
गिरिडीह में मोबाइल लाइब्रेरी वैन का यह प्रयास साबित करता है कि जब बच्चों को किताबों तक सरल पहुँच मिलती है, तो उनकी रुचि और आत्मविश्वास दोनों बढ़ते हैं। शिक्षा केवल परीक्षा तक सीमित न रहकर जीवन का हिस्सा बने, यही इस पहल का सबसे बड़ा संदेश है।
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किताबों की ओर लौटता बचपन
गिरिडीह के बच्चों ने आज जिस ऊर्जा के साथ पठन का संकल्प लिया है, वह भविष्य की मजबूत नींव है। अब समय है कि हम सब अपने घरों और समाज में बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि और लोग भी इस मुहिम का हिस्सा बन सकें।