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झारखंड बंद का मिला-जुला असर: सिरमटोली रैंप विवाद को लेकर आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन तेज

#रांची #बंद – सरना धर्म कोड, भूमि अधिकार और सिरमटोली रैंप विवाद को लेकर आदिवासी संगठनों ने आज किया झारखंड बंद का आह्वान — रांची, लातेहार, गुमला सहित कई जिलों में सड़क जाम और प्रदर्शन

सरना धर्म कोड, ज़मीन अधिकार और विकास कार्यों को लेकर विरोध

झारखंड में बुधवार, 5 जून को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक आदिवासी संगठनों द्वारा झारखंड बंद का आह्वान किया गया। सिरमटोली रैंप निर्माण विवाद, सरना धर्म कोड, आदिवासी भूमि की लूट, और सादा पट्टा पर रोक लगाने जैसी मांगों को लेकर बंद का आयोजन हुआ।

बंद समर्थक हाथों में सरना झंडा और मांगों से जुड़े पोस्टर लेकर सड़कों पर उतर आए। रांची, गुमला, लातेहार सहित कई जिलों में मिश्रित असर देखा गया, वहीं केवल जरूरी सेवाओं को बंद से छूट दी गई।

कई क्षेत्रों में यातायात प्रभावित, रास्ते बंद

राजधानी रांची के चान्हो और खेलगांव इलाके में बंद का गहरा असर देखा गया। चान्हो में बंद समर्थकों ने सड़क पर चादर बिछाकर जाम कर दिया, जिससे दोनों तरफ लंबी वाहनों की कतारें लग गईं। वहीं, खेलगांव में प्रदर्शनकारियों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर सड़क को पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया।

बंद समर्थकों के पोस्टर पर लिखा था: “सरना धर्म कोड लागू करो”, “आदिवासी ज़मीन की लूट बंद करो”, “सादा पट्टा पर रोक लगाओ”

बंद के चलते लोगों को वैकल्पिक रास्तों से गुजरना पड़ा, कई यात्री गूगल मैप की मदद से दूसरे रूट खोजते नजर आए। स्कूल, दुकानें और संस्थान बंद रहे, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ।

पुलिस ने संभाला मोर्चा, रही सतर्क

झारखंड पुलिस ने बंद को लेकर अलर्ट मोड पर तैयारियां कर रखी थीं। अब तक कहीं से किसी बड़े उपद्रव या हिंसा की सूचना नहीं है। बंद स्थलों पर पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे और आम जन को परेशानी न हो।

न्यूज़ देखो: आदिवासी अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बना बंद

यह बंद सिर्फ एक सड़क जाम नहीं, बल्कि आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक अस्मिता, भूमि अधिकार और धार्मिक पहचान से जुड़ा आंदोलन है। सिरमटोली रैंप विवाद को लेकर उठी आवाजें अब जनांदोलन का रूप ले रही हैं, जिसमें पूरे राज्य के कई जिले शामिल हो रहे हैं।
‘न्यूज़ देखो’ इस आंदोलन की संवेदनशीलता और राजनीतिक महत्व को समझता है और हर पहलु की बारीकी से रिपोर्टिंग कर रहा है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जिम्मेदार संवाद ही समाधान का रास्ता

जनता की मांगों को सिर्फ विरोध से नहीं, बल्कि संवाद और सहमति से समाधान तक पहुंचाना जरूरी है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह आदिवासी संगठनों के साथ सार्थक वार्ता कर उचित हल निकाले, ताकि विकास और पहचान दोनों को समान महत्व दिया जा सके।
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