
#महुआडांड़ #मनरेगाकिसानसफलता – मनरेगा के तहत आम बगवानी योजना से सफरुल अंसारी बने आत्मनिर्भर, अब किसान भी ले रहे हैं प्रेरणा
- महुआडांड़ के सफरुल अंसारी ने बंजर जमीन पर मनरेगा से आम की बगवानी कर हासिल की बड़ी सफलता
- 2020-21 में लगे पौधों से अब हो रही है लाखों की आमदनी, व्यापारी खुद घर आकर खरीदते हैं आम
- पिछले वर्ष ₹50,000 की हुई बिक्री, इस वर्ष ₹1 लाख से अधिक की कमाई की संभावना
- प्रखंड अधिकारियों ने किया बगवानी का निरीक्षण, किसानों से अपील— ‘मनरेगा से बनाएं आमदनी का नया जरिया’
- दूसरे किसान भी प्रेरित होकर बागवानी की ओर बढ़ा रहे कदम, ग्राम स्तर पर आत्मनिर्भर कृषि का अनूठा उदाहरण
बंजर जमीन को किया हराभरा, बनी गांव में मिसाल
लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के दुरूप पंचायत निवासी किसान सफरुल अंसारी ने यह साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और सरकारी योजना का समन्वय अगर हो जाए तो बंजर जमीन भी लाखों की आमदनी का जरिया बन सकती है। सफरुल ने मनरेगा योजना (2020-21) के तहत एक एकड़ बंजर जमीन पर आम के पौधे लगाए। चार वर्षों की मेहनत, सेवा और नियमित देखभाल के बाद उनकी बगवानी अब फल देना शुरू कर चुकी है।
सफरुल अंसारी ने कहा:
“अब बाजार नहीं जाना पड़ता, व्यापारी खुद बगवानी पर आकर आम खरीद लेते हैं। इस साल ₹1 लाख से ज्यादा की आमदनी होगी।”
मनरेगा से आत्मनिर्भरता की राह
सफरुल अंसारी की यह बगवानी अब पूरे पंचायत में चर्चा का विषय बन चुकी है। पहले साल उन्होंने ₹50,000 की आम बिक्री की, जबकि इस वर्ष ₹1 लाख से अधिक की कमाई की उम्मीद है। उनकी इस उपलब्धि ने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी फलोद्यान और बगवानी की ओर आकर्षित किया है।
विभागीय अधिकारियों की भी सराहना
हाल ही में प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी सुखदेव साहू, कनिय तकनीकी सहायक मुनेश्वर उरांव, और रोजगार सेवक प्रेमलाल ठिठियो ने सफरुल की बगवानी का निरीक्षण किया। उन्होंने इसे ग्रामस्तरीय आत्मनिर्भर कृषि मॉडल बताते हुए अन्य किसानों से भी अपील की कि वे मनरेगा जैसी योजनाओं का सही उपयोग कर अपनी आय बढ़ाएं और अनुपयोगी जमीन को उत्पादक बनाएं।
न्यूज़ देखो: जब योजना और मेहनत मिलती है, तब आत्मनिर्भरता की राह आसान हो जाती है
सफरुल अंसारी की कहानी दर्शाती है कि अगर सरकारी योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर सही तरीके से लागू किया जाए और किसान मेहनत से काम करें, तो गांवों में भी समृद्धि की रोशनी पहुंच सकती है।
न्यूज़ देखो ऐसे उदाहरणों को आगे लाकर यह बताना चाहता है कि परिवर्तन संभव है, बस ज़रूरत है ईमानदार प्रयास और सही मार्गदर्शन की।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
यह सफलता कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि उस सिस्टम की भी है जो अब जागरूक और जिम्मेदार बन रहा है। आइए, प्रेरणा लें और गांव-गांव में खेती को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाएं।