#पलामू #राजनीतिक_विवाद — ‘अमरीका के दबाव में युद्धविराम मोदी सरकार की ऐतिहासिक भूल’ — सुधीर चंद्रवंशी
- कांग्रेस नेता सुधीर चंद्रवंशी ने युद्धविराम को बताया भारत की जनता और सेना का अपमान
- भारत-पाक युद्ध में अमेरिका के हस्तक्षेप पर कड़ी आपत्ति, शिमला समझौते का हवाला
- इंदिरा गांधी की 1971 की दृढ़ता को बताया अनुकरणीय उदाहरण
- प्रधानमंत्री पर लगाया अमेरिका के दबाव में निर्णय लेने का आरोप
- भारतीय सेना की सराहना, तीनों सेना प्रमुखों को धन्यवाद दिया
‘मोदी का 56 इंच का सीना नहीं आया काम’: चंद्रवंशी का सियासी वार
पलामू के बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी और झारखंड के वरिष्ठ नेता सुधीर कुमार चंद्रवंशी ने भारत सरकार के युद्धविराम निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे जनता और सेना का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के युद्ध जैसे गंभीर विषय में कोई तीसरा देश हस्तक्षेप नहीं कर सकता, लेकिन अमेरिका के दबाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युद्धविराम की घोषणा कर दी।
शिमला समझौते की अनदेखी का लगाया आरोप
श्री चंद्रवंशी ने साफ कहा कि शिमला समझौता यह स्पष्ट करता है कि भारत-पाक के बीच कोई भी विवाद हो, उसमें तीसरे देश की भूमिका नहीं होनी चाहिए। बावजूद इसके, भारत सरकार ने अमेरिकी दबाव में आकर सैन्य कार्रवाई को रोका, जो न केवल समझौते का उल्लंघन है, बल्कि यह भारतीय जनता की भावना के खिलाफ भी है।
‘भारत जीत के कगार पर था, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति डगमगाई’
सुधीर चंद्रवंशी ने अपने बयान में दावा किया कि भारत युद्ध में जीत के मुहाने पर खड़ा था, और पाकिस्तान पर निर्णायक बढ़त बना चुका था। उन्होंने कहा कि,
“भारत के प्रधानमंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति के कहने पर अचानक युद्धविराम की घोषणा कर दी, जबकि पाकिस्तान लगभग घुटनों पर था।”
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 1971 के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि उस समय भी अमेरिका ने युद्ध रोकने का प्रयास किया था, लेकिन “आयरन लेडी” इंदिरा गांधी ने अमेरिका की एक नहीं मानी और पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया।
सेना के हौसले को सलाम, सरकार की नीतियों पर सवाल
चंद्रवंशी ने खुद को एक भूतपूर्व सैनिक के पुत्र के रूप में पहचानते हुए तीनों सेना प्रमुखों और भारतीय जवानों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि देश की जनता का मनोबल उच्च स्तर पर था, लेकिन सरकार ने युद्धविराम करके जनता के हौसले को तोड़ने का काम किया।
“26 पर्यटकों की शहादत का बदला अभी अधूरा है, हम विश्व के सभी आतंकवादियों का सफाया देखना चाहते थे।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय भारतीय जनता पार्टी की सरकार की कूटनीतिक कमजोरी को दर्शाता है, जिससे देश की रणनीतिक ताकत को झटका लगा है।
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