
#महुआडांड़ #लोधजलप्रपातपर्यटन : बूढ़ा घाघ की roaring beauty का मौसम लौटा — बरसात में रोमांच के साथ खतरे भी, वन विभाग सतर्क
- लोध जलप्रपात (बूढ़ा घाघ) में मानसून की पहली बारिश के साथ बढ़ी पर्यटकों की भीड़
- 143 मीटर ऊंचा यह झरना तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा, प्राकृतिक सौंदर्य का अनमोल केंद्र
- प्रशासन ने जलस्तर बढ़ने और बहाव तेज होने पर गहरे पानी से बचने की चेतावनी जारी की
- शाम 4 बजे के बाद क्षेत्र में सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती, पर्यटकों को दोपहर तक लौटने की सलाह
- प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित, पर्यटकों से स्वच्छता और नियमों के पालन की अपील
झारखंड का नेचुरल वंडर — बूढ़ा घाघ जलप्रपात
महुआडांड़ प्रखंड स्थित लोध जलप्रपात, जिसे स्थानीय रूप से बूढ़ा घाघ कहा जाता है, मानसून में अपना पूरा सौंदर्य बिखेर रहा है। 143 मीटर ऊंचाई से गिरती जलधारा, चारों ओर घने पहाड़ों और हरियाली से घिरा यह स्थान ना केवल राज्य के लोगों के लिए, बल्कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़ के पर्यटकों के लिए भी खास आकर्षण है। नेतरहाट यात्रा इसी जलप्रपात के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है।
बरसात में बढ़ा जोखिम, गहरे पानी से बचने की अपील
बुढ़ा नदी का जलस्तर मानसून में तेजी से बढ़ता है, जिससे जलप्रपात का प्रवाह अत्यधिक तेज और खतरनाक हो जाता है। प्रशासन और वन विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी पर्यटक गहरे पानी में प्रवेश न करें और चट्टानों पर खड़े होकर सेल्फी लेने से बचें। क्षेत्र में तैनात स्थानीय सुरक्षा समिति और वन कर्मियों को सतर्क रहने को कहा गया है, लेकिन सतर्कता पहले स्वयं की होनी चाहिए।
पर्यटकों के लिए जरूरी यात्रा सूचना
- रांची से महुआडांड़: ~200 किमी (लोहरदगा/लातेहार होकर)
- लातेहार से जलप्रपात: ~115 किमी
- महुआडांड़ से जलप्रपात: ~17 किमी (पक्की ग्रामीण सड़क)
- जलप्रपात मुख्य द्वार पर टोकन व्यवस्था और रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
- मुख्य स्थल तक 400–500 मीटर पैदल चलना पड़ता है
समय की समझदारी भी जरूरी
जलप्रपात चारों ओर से पहाड़ों से घिरा है, इस कारण शाम 4 बजे के बाद सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती। प्रशासन ने पर्यटकों को सलाह दी है कि दोपहर 3 बजे तक वापसी का समय तय करें, ताकि किसी प्रकार की परेशानी न हो। जीवन रक्षक जैकेट की सुविधा मौजूद है, जरूरत हो तो अवश्य पहनें।
पर्यावरण संरक्षण — सबकी जिम्मेदारी
बूढ़ा घाघ क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक, पॉलिथीन पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। स्वच्छता कर्मी और वन विभाग के स्वयंसेवक लगातार निगरानी में रहते हैं। सभी पर्यटकों से अपील की गई है कि प्राकृतिक सौंदर्य और संपदा की रक्षा करें, अपना कचरा न फैलाएं।
न्यूज़ देखो: पर्यावरण पर्यटन के साथ सुरक्षा और चेतना की भी जिम्मेदारी
बूढ़ा घाघ जैसे नैसर्गिक सौंदर्य स्थल सिर्फ पर्यटन नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ाव और आत्मिक अनुभव का माध्यम हैं। लेकिन रोमांच के साथ-साथ सतर्कता और जिम्मेदारी भी उतनी ही जरूरी है। प्रशासन ने चेतावनी देकर एक सराहनीय पहल की है — अब बारी पर्यटकों की है कि वे नियमों का पालन कर इस अनमोल धरोहर की गरिमा बनाए रखें।
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यात्रा हो खूबसूरत और सुरक्षित
मनोरंजन और रोमांच के साथ-साथ ज़िम्मेदार पर्यटन ही आज की जरूरत है। आइए, हम सब मिलकर पर्यावरण की रक्षा करें, नियमों का पालन करें और इस मानसून अपने अनुभवों को यादगार बनाएं।