
#सिमडेगा #शैक्षणिक_कार्यक्रम : कॉलेज में वैश्विक उष्मता पर विशेषज्ञ व्याख्यान से छात्र हुए जागरूक।
संत जेवियर्स कॉलेज, सिमडेगा के सेमिनार हॉल में फादर कामिल बुल्के मासिक व्याख्यान श्रृंखला की पांचवीं कड़ी आयोजित की गई। इस अवसर पर भूगोल विभाग के प्राध्यापक प्रदीप एडवर्ड एक्का ने भूमंडलीय तापन के कारण, प्रभाव और बचाव के उपायों पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में शिक्षकों और विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना इस आयोजन का प्रमुख उद्देश्य रहा।
- संत जेवियर्स कॉलेज, सिमडेगा के सेमिनार हॉल में मासिक व्याख्यान आयोजित।
- प्रमुख वक्ता प्रदीप एडवर्ड एक्का, प्राध्यापक, भूगोल विभाग।
- विषय रहा भूमंडलीय तापन कारण, प्रभाव और बचाव के उपाय।
- स्वागत भाषण डॉ. सुनील केरकेट्टा द्वारा दिया गया।
- फादर डॉ. रोशन बा ने कार्यक्रम की सराहना की।
- स्टेला टोपनो और सोशांति जोजो ने संचालन व आभार ज्ञापन किया।
संत जेवियर्स कॉलेज, सिमडेगा में आयोजित फादर कामिल बुल्के मासिक व्याख्यान की यह कड़ी विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए ज्ञानवर्धक रही। वर्तमान समय में पर्यावरण असंतुलन और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याएं तेजी से गंभीर रूप ले रही हैं। इसी संदर्भ में आयोजित इस व्याख्यान का उद्देश्य विद्यार्थियों को भूमंडलीय तापन की वास्तविकता, उसके दुष्परिणामों और समाधान के प्रति जागरूक करना रहा। कार्यक्रम में अकादमिक वातावरण के साथ सामाजिक जिम्मेदारी की भावना भी स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
भूमंडलीय तापन पर केंद्रित व्याख्यान
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता प्रदीप एडवर्ड एक्का, प्राध्यापक, भूगोल विभाग ने अपने व्याख्यान में बताया कि भूमंडलीय तापन आज केवल वैज्ञानिक विषय नहीं, बल्कि मानव जीवन से जुड़ी एक बड़ी चुनौती बन चुका है। उन्होंने इसके प्रमुख कारणों में औद्योगिकीकरण, जीवाश्म ईंधनों का अत्यधिक उपयोग, वनों की कटाई और अनियंत्रित शहरीकरण को प्रमुख रूप से रेखांकित किया।
प्रदीप एडवर्ड एक्का ने कहा:
“वैश्विक उष्मता की समस्या विश्व के समक्ष प्रमुख चुनौती बनकर उभरी है।”
उन्होंने विद्यार्थियों को यह समझाया कि यदि अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इसके प्रभाव आने वाले वर्षों में और भी भयावह हो सकते हैं।
पर्यावरण और मानव जीवन पर प्रभाव
व्याख्यान के दौरान वक्ता ने भूमंडलीय तापन के पर्यावरणीय, सामाजिक और जैविक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि तापमान में निरंतर वृद्धि के कारण मौसम चक्र असंतुलित हो रहा है, जिससे बाढ़, सूखा और अत्यधिक वर्षा जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। इसका सीधा असर कृषि, जल संसाधनों और मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जैव विविधता पर इसका गहरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं, जबकि पारिस्थितिकी तंत्र अस्थिर होता जा रहा है। यह स्थिति भविष्य की पीढ़ियों के लिए गंभीर संकट का संकेत है।
व्यक्तिगत प्रयासों पर दिया गया जोर
प्रदीप एडवर्ड एक्का ने अपने व्याख्यान में इस बात पर विशेष बल दिया कि भूमंडलीय तापन से निपटने के लिए केवल सरकारी नीतियां पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उन्होंने अधिक से अधिक पेड़ लगाने, ऊर्जा की बचत करने, प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा:
“इससे निपटने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है।”
कॉलेज प्रशासन और शिक्षकों की प्रतिक्रिया
कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. सुनील केरकेट्टा ने स्वागत भाषण देते हुए अतिथि वक्ता और उपस्थित सभी शिक्षकों व विद्यार्थियों का अभिनंदन किया। उन्होंने इस प्रकार के अकादमिक आयोजनों को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक बताया।
कॉलेज के प्राचार्य फादर डॉ. रोशन बा ने व्याख्यान की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से विद्यार्थियों को समसामयिक और वैश्विक मुद्दों को समझने का अवसर मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को इस तरह के कार्यक्रमों से लाभान्वित होने का प्रयास करना चाहिए।
विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में हिंदी तथा भूगोल विभाग के विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने सक्रिय भूमिका निभाई। सेमेस्टर 6 की छात्रा स्टेला टोपनो ने मंच संचालन किया, जबकि सोशांति जोजो ने आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया। वक्ता ने पीपीटी के माध्यम से अपने व्याख्यान को रोचक और प्रभावी बनाया, जिससे विद्यार्थियों को विषय को समझने में आसानी हुई।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिससे पूरे आयोजन में अनुशासन और गरिमा बनी रही।
न्यूज़ देखो: शिक्षा के माध्यम से पर्यावरणीय चेतना का प्रयास
यह खबर दर्शाती है कि शैक्षणिक संस्थान केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक और वैश्विक मुद्दों पर भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। संत जेवियर्स कॉलेज द्वारा आयोजित यह व्याख्यान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूकता बढ़ाने का सार्थक प्रयास है। ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों को जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देते हैं। भविष्य में इस तरह की पहल कितनी निरंतर और व्यापक होती है, यह देखने योग्य होगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता से ही सुरक्षित होगा भविष्य
आज की पीढ़ी यदि पर्यावरण के प्रति सजग होगी, तभी आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य मिल सकेगा। कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में इस तरह के कार्यक्रम युवाओं को सोचने और जिम्मेदारी निभाने की दिशा देते हैं। छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं।





