- मसानजोर में तसर कीटपालन और रेशम उद्योग आधारित पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा।
- दुमका वन प्रमंडल और तसर अनुसंधान संस्थान के बीच हुई विशेष बैठक।
- मिनी तसर टेक्नोलॉजी पार्क विकसित करने पर जोर।
- तसर उत्पादन से स्थानीय रोजगार और आमदनी बढ़ाने की योजना।
- अर्जुन पौधरोपण के माध्यम से तसर रेशम कीटों के लिए खाद्य पौधे तैयार।
मसानजोर में तसर उद्योग को बढ़ावा देने की पहल
दुमका: दुमका वन प्रमंडल और केंद्रीय तसर अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान रांची के बीच तसर कीटपालन और रेशम उद्योग आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विशेष चर्चा हुई। वन प्रमंडल पदाधिकारी सात्विक व्यास और संस्थान के निदेशक डाॅ. एनबी चौधरी ने मसानजोर में तसर रेशम उद्योग की गतिविधियों को और मजबूत करने का संकल्प लिया।
मिनी तसर टेक्नोलॉजी पार्क की योजना
इस बैठक में मसानजोर में मिनी तसर टेक्नोलॉजी पार्क विकसित करने की योजना पर जोर दिया गया। डाॅ. चौधरी ने कहा, “दुमका में तसर कोशों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। तसर धागाकरण और वस्त्र निर्माण से यहां रोजगार और आमदनी के नए अवसर बन सकते हैं।”
पर्यटन और तसर उद्योग का सामंजस्य
पर्यटन को गति देते हुए तसर धागाकरण और वस्त्र निर्माण को बढ़ावा देने के लिए मसानजोर क्षेत्र को आदर्श स्थान माना गया है। सहायक निदेशक पर्यटन तूफान कुमार पोद्दार ने पर्यटन स्थल मसानजोर का दौरा किया और तसर उत्पादन के लिए खाद्य पौधों जैसे अर्जुन का पौधरोपण किया।
संताल परगना का विशेष योगदान
संताल परगना झारखंड में तसर रेशम उत्पादन का मुख्य केंद्र है, जहां राज्य का 30% उत्पादन होता है। तसर उद्योग से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। मसानजोर में इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयास किए जा रहे हैं।
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