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चैनपुर में जंगी दस्तों के करतब और तलवारबाज़ी के साथ निकला मुहर्रम का जुलूस

#चैनपुर #मुहर्रम_जुलूस : या हुसैन की सदाओं के बीच तलवारबाज़ी, अलम और कर्बला की यादें — चैनपुर में शांति और अकीदत के साथ निकला मुहर्रम का जुलूस

मुहर्रम का जुलूस बना कर्बला की यादों का गवाह

गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड की फ़िज़ाओं में सोमवार को या हुसैन या अली की सदाओं ने गूंज भर दी। हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में निकला जुलूस रजा मस्जिद से शुरू होकर आनंदपुर मोड़ तक पहुंचा। जुलूस में ग़मे-हुसैन से लबरेज़ अकीदतमंदों ने तिरंगे, मजहबी झंडों और परंपरागत हथियारों के साथ भाग लिया। जुलूस में शिरकत करने वालों ने इमाम हुसैन की क़ुर्बानी को याद करते हुए अपने जज़्बात पेश किए।

तलवारबाज़ी और जंगी दस्तों का रोहानी मंज़र

लोहरदगा की जीदो कुडू टीम द्वारा पेश की गई तलवारबाज़ी और युद्ध कला ने लोगों को कर्बला के जंग के मंजर की याद दिला दी। जंगी दस्तों ने अलम के साथ बेमिसाल करतब दिखाए। यह सिर्फ़ करिश्माई खेल नहीं, बल्कि शहादत की कहानी का एक ज़िंदा नज़ारा था।

अंजुमन इस्लामिया के सदर शकील खान ने कहा: “मुहर्रम हमें हक़, सच्चाई और सब्र की राह पर चलना सिखाता है। इमाम हुसैन की कुर्बानी हम सबके लिए एक नूर है, जो ज़ुल्म के अंधेरों में इंसाफ़ की रौशनी देता है।”

अमन-ओ-अमान बनाए रखने में पुलिस प्रशासन रहा मुस्तैद

जुलूस के दौरान थाना प्रभारी कुंदन कुमार चौधरी ने दल-बल संग मोर्चा संभाल रखा था। हर नुक्कड़, हर गली पर पुलिस की तैनाती सुनिश्चित की गई थी। उन्होंने तमाम गतिविधियों पर नज़र रखते हुए सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती।

अकीदतमंदों ने पेश की एकता की मिसाल

इस मौके पर अंजुमन इस्लामिया के सचिव जहीर अंसारी, मोहर्रम कमेटी के सदर सलामत हुसैन, सेक्रेट्री जावेद खान, लड्डन खान, अफराज खान, आसिफ खान, नसीरुद्दीन खान, हाफिज रफीक समेत सैकड़ों मुस्लिम अकीदतमंद मौजूद रहे। सभी ने मिलकर मुहर्रम की रस्मों को अंजाम दिया और इमाम हुसैन की याद में श्रद्धा अर्पित की।

न्यूज़ देखो: अमन, अकीदत और सजगता की एक तस्वीर

चैनपुर में मुहर्रम का शांतिपूर्ण आयोजन समाज में मजहबी यकजहती और अखलाकी क़द्रों का बेहतरीन उदाहरण रहा। वहीं पुलिस प्रशासन की सक्रियता और सामाजिक संस्थाओं की जिम्मेदारी ने इस आयोजन को कामयाब बनाया।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

एकता की रौशनी को हर दिल तक पहुंचाएं

मुहर्रम सिर्फ़ मातम का नहीं, बल्कि उस उसूल की याद है जो जालिम के सामने झुकने से मना करता है। आइए, हम भी हुसैनी जज़्बे को अपनाएं और समाज में अमन, भाईचारे और सच्चाई की अलामत बनें।
इस खबर को शेयर करें, और कमेंट कर बताएं — इमाम हुसैन की कौन सी बात आज के दौर में सबसे अहम है?

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