सदर अस्पताल में इलाज के अभाव से टूटी उम्मीद
भवनाथपुर थाना क्षेत्र के रोहनिया गांव निवासी कल्पनाथ अगरिया का पुत्र रानू अगरिया आज भी समुचित इलाज के लिए भटक रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर रानू को सदर अस्पताल गढ़वा में भर्ती तो किया गया, लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी उसे इलाज का उचित लाभ नहीं मिल पाया।
बुधवार को दर्द से कराहते हुए रानू ने कहा, “अब लगता है कोई सहारा नहीं बचा। घर जाकर भगवान के भरोसे ही जीना होगा।” उसने बताया कि मुख्यमंत्री के संज्ञान के बाद उसे उम्मीद जगी थी कि वह अपने पैरों पर चल सकेगा। लेकिन अस्पताल में केवल बैंडेज और दर्द निवारक इंजेक्शन दिया गया, डॉक्टर भी देखने नहीं आए।
रानू ने कहा, “अगर यहां इलाज संभव नहीं था तो मुझे हायर सेंटर रेफर कर देना चाहिए था।”
क्या है मामला?
चार साल पहले हरियाणा के पानीपत में मजदूरी करते वक्त रानू के दाएं घुटने में सरिया लगने से गंभीर चोट आई थी। इसके बाद परिवार ने निजी अस्पताल में 50,000 रुपये खर्च कर इलाज करवाया, जिसके लिए जमीन तक बेचनी पड़ी। बावजूद इसके, चोट पूरी तरह ठीक नहीं हुई।
सदर अस्पताल गढ़वा में डॉक्टरों ने इलाज करने से इनकार कर दिया। इसके बाद ससुरालवालों ने यूपी के रॉबर्ट्सगंज में जमीन बंधक रखकर इलाज कराया, लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ।
2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ नेताओं ने मदद का आश्वासन दिया था। रानू ने भवनाथपुर के विधायक अनंत प्रताप देव से फोन पर मदद की गुहार लगाई। विधायक ने ट्विटर के माध्यम से मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचाया। मुख्यमंत्री के आदेश पर जिला प्रशासन ने रानू को एंबुलेंस से सदर अस्पताल गढ़वा भिजवाया।
समस्या जस की तस
रानू का कहना है कि इलाज के नाम पर उसे सिर्फ औपचारिकता का सामना करना पड़ा। उसने कहा, “डंडे के सहारे जीना मुश्किल है, अगर इलाज संभव नहीं है तो मुझे बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया जाए।”
अब देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में कब तक पहल करता है और रानू को उसका हक मिलता है या नहीं।