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गिरिडीह के शहरपूरा विद्यालय में मनाई गई मुंशी प्रेमचंद की 145वीं जयंती, बच्चों को दी गई साहित्यिक प्रेरणा

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#गिरिडीह #शिक्षा : साहित्यिक धरोहर के प्रति जागरूकता बढ़ाने को विद्यालय में हुआ विशेष कार्यक्रम
  • उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय शहरपूरा में हुआ आयोजन।
  • हिंदी कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के जीवन और योगदान पर चर्चा।
  • टीजीटी शिक्षक सह कवि नेतलाल यादव ने विद्यार्थियों को दी महत्वपूर्ण जानकारी।
  • प्रेमचंद की प्रसिद्ध कृतियों जैसे गोदान, गबन, कर्मभूमि पर हुई बात।
  • समारोह में प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में शामिल।

गिरिडीह जिले के नवडीहा प्रखंड अंतर्गत शहरपूरा के उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय में गुरुवार को हिंदी कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 145वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को हिंदी साहित्य की विरासत से जोड़ना और साहित्यिक मूल्यों के प्रति जागरूक करना था। इस अवसर पर विद्यालय परिसर में साहित्य प्रेम का माहौल देखने को मिला।

प्रेमचंद का जीवन और योगदान

कार्यक्रम के दौरान हिंदी टीजीटी शिक्षक सह कवि नेतलाल यादव ने बच्चों को मुंशी प्रेमचंद के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गांव में हुआ था। बचपन में ही उन्होंने माता-पिता को खो दिया था। बावजूद इसके उन्होंने संघर्ष कर शिक्षा प्राप्त की। प्रेमचंद ने शिक्षा विभाग में नौकरी की, लेकिन महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर सरकारी नौकरी छोड़ दी

साहित्य की दुनिया में अमिट पहचान

प्रेमचंद ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण उपन्यास और कहानियां लिखीं। उनकी रचनाएं ग्रामीण जीवन, सामाजिक कुरीतियों और यथार्थ पर आधारित होती थीं। गोदान, गबन, कर्मभूमि, सेवासदन, कफन और पंच परमेश्वर उनकी प्रमुख कृतियों में शामिल हैं। प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 को हुआ, लेकिन उनके विचार आज भी समाज को दिशा देते हैं।

बच्चों के लिए प्रेरणादायक संदेश

शिक्षक नेतलाल यादव ने छात्रों से कहा कि हमें मुंशी प्रेमचंद के आदर्शों और साहित्यिक मूल्यों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में ईमानदारी और संवेदनशीलता अपनानी चाहिए। साहित्य सिर्फ किताबों में सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे विचारों और आचरण में झलकना चाहिए

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सहभागिता

समारोह में प्रधानाध्यापक अमित कुमार त्रिपाठी, पवन कुमार, मो. साजिद हुसैन, अजय कुमार, देवेंद्र प्रसाद वर्मा, मंच संचालक धीरज पासवान समेत बड़ी संख्या में शिक्षकगण और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। प्रीति कुमारी, स्वाति कुमारी, ज्योति कुमारी, सोनाली कुमारी जैसी छात्राओं ने भी कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी निभाई।

न्यूज़ देखो: साहित्यिक मूल्यों की नई रोशनी

गिरिडीह के इस आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि साहित्य समाज को दिशा देने वाला आईना है। मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाकर बच्चों में जागरूकता बढ़ाना एक सराहनीय प्रयास है। ऐसे कार्यक्रम युवाओं को संवेदनशील और सामाजिक रूप से जिम्मेदार नागरिक बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

समय है सजग नागरिकता का

हिंदी साहित्य हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। अब समय है कि हम अपने बच्चों को साहित्य से जोड़ें। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को दोस्तों व परिवार के साथ शेयर करें ताकि यह प्रेरणा औरों तक पहुंच सके।

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