#गढ़वा #किशोरी_आत्महत्या : कटहल कला गांव की 17 वर्षीय मुस्कान कुमारी ने माता-पिता की गैरहाज़िरी में कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली — इलाज के दौरान गढ़वा सदर अस्पताल में हुई मौत
- कटहल कला गांव की किशोरी मुस्कान कुमारी ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या की
- घर पर अकेली थी, माता-पिता इलाज और नौकरी के सिलसिले में बाहर थे
- बेहोशी की हालत में ऊंटरी अस्पताल में भर्ती, फिर गढ़वा सदर अस्पताल रेफर किया गया
- चिकित्सकों ने मृत घोषित किया, पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा
- घटना के पीछे का कारण अब तक अज्ञात, जांच में जुटी है पुलिस
घटना का विवरण: अकेलेपन में लिया खौफनाक कदम
गढ़वा जिले के रुड़की थाना क्षेत्र के कटहल कला गांव की रहने वाली 17 वर्षीय मुस्कान कुमारी ने रविवार को कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली। घटना तब हुई जब उसके पिता सुनील चंद्रवंशी नौकरी पर गए थे और मां अपनी छोटी बेटी को इलाज के लिए मेदिनीनगर ले गई थीं। घर पर मुस्कान और उसका छोटा भाई ही मौजूद थे।
परिजनों को नहीं लगी भनक
परिजनों के मुताबिक, मुस्कान ने किस बात से आहत होकर कीटनाशक खाया, इसका कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। जब परिजनों को इसकी जानकारी हुई, तब तक वह बेहोश हो चुकी थी। आनन-फानन में उसे नगर ऊंटरी अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया।
गढ़वा सदर अस्पताल में हुई मौत
ऊंटरी अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद, उसकी हालत गंभीर बताई गई, और उसे गढ़वा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। लेकिन वहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस दर्दनाक खबर से परिवार और गांव में शोक की लहर फैल गई।
पुलिस जांच में जुटी, पोस्टमार्टम के आदेश
गढ़वा सदर अस्पताल में मौत की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अब पुलिस मामले की जांच कर रही है, ताकि आत्महत्या के कारणों की पूरी जानकारी सामने आ सके।
न्यूज़ देखो: किशोर मानसिक स्वास्थ्य पर ज़ोर ज़रूरी
किशोरों की आत्महत्या की घटनाएं एक गहरी सामाजिक चिंता का विषय हैं। मुस्कान कुमारी की मौत एक बार फिर ये सवाल उठाती है कि क्या हम अपने बच्चों की भावनात्मक जरूरतों को समझ पा रहे हैं? जब परिवार व्यस्त होता है, तो बच्चों की मानसिक स्थिति पर नज़र रखना और भी ज़रूरी हो जाता है।
न्यूज़ देखो हमेशा ऐसे मामलों को उजागर करता रहा है जहां संवेदनशीलता और संवाद की कमी एक त्रासदी का कारण बन जाती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
हम सबकी जिम्मेदारी है
इस दुखद घटना से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि युवा मन बेहद संवेदनशील होता है। हमें घर-परिवार और समाज में संवाद और सहारा देने की संस्कृति को बढ़ावा देना होगा। अगर आप भी किसी किशोर को मानसिक दबाव में देखें, तो समय पर बात करें, मदद करें — हो सकता है आपका एक शब्द किसी की जान बचा ले।
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