- गढ़वा के विकास माली ने अब तक 14 हजार बेटियों की शादी बिना दहेज करवाई।
- तीन अनाथ बच्चों को गोद लेकर कर रहे हैं उनकी पूरी देखभाल।
- कन्या विवाह एंड विकास सोसायटी के माध्यम से सामूहिक विवाह की अनूठी पहल।
- बिहार के 22 जिलों में फैली शाखाओं के साथ 80 हजार से अधिक सदस्य संगठन से जुड़े।
गढ़वा जिले के विकास कुमार माली समाज में दहेज प्रथा और भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। 36 वर्षीय विकास अब तक 14 हजार से अधिक बेटियों की शादी बिना दहेज करवा चुके हैं, जिससे वे सामाजिक चेतना का एक प्रमुख चेहरा बन गए हैं।
तीन बच्चों को लिया गोद, जरूरतमंदों का सहारा बने
विकास माली ने अब तक तीन अनाथ बच्चों को गोद लिया है और उनकी पूरी देखभाल कर रहे हैं।
हाल ही में, एक युवती, जो प्रेम संबंध के चलते अपने ससुराल और मायके दोनों जगह ठुकरा दी गई थी, उसके भरण-पोषण की जिम्मेदारी विकास माली ने उठाई है।
“जब तक उसे न्यायालय से इंसाफ नहीं मिल जाता, तब तक विकास माली उसकी और उसके बच्चे की देखभाल कर रहे हैं।”
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गरीबी ने झकझोरा, कुरीतियों के खिलाफ उठाई आवाज
गढ़वा जिले के टंडवा थाना क्षेत्र के रहने वाले विकास माली ने बचपन में गरीबी और कम उम्र में होने वाली शादियों का दर्द देखा।
उन्होंने ठान लिया कि इन कुरीतियों को खत्म करने में अपना योगदान देंगे और पिछले 15 वर्षों से इस दिशा में लगातार कार्य कर रहे हैं।
कन्या विवाह एंड विकास सोसायटी का गठन
- 9 सितंबर 2010 को पटना में कन्या विवाह एंड विकास सोसायटी की स्थापना की गई।
- इसका प्रधान कार्यालय गया में स्थित है और बिहार के 22 जिलों में इसकी शाखाएं हैं।
- 2010 में बिना दहेज शादी का अभियान शुरू किया गया, जिसके माध्यम से अब तक 14 हजार लड़कियों की डोली सजा चुके हैं।
सामूहिक विवाह की अनूठी पहल
- 2010 में पहली बार विकास माली ने 51 कन्याओं की सामूहिक शादी करवाई और उन्हें गृहस्थ जीवन के लिए आवश्यक उपहार देकर विदा किया।
- यह सिलसिला हर साल बढ़ता गया, और बीते वर्ष 151 कन्याओं का सामूहिक विवाह दानरो नदी तट पर संपन्न हुआ।
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80 हजार से अधिक सदस्य संगठन से जुड़े
विकास माली की सोसायटी में अब तक 80 हजार से अधिक सदस्य जुड़ चुके हैं, जो संगठन की आर्थिक मदद करते हैं।
सदस्यता शुल्क ₹250 रखा गया है, जिससे गरीब परिवारों की बेटियों की शादी करवाई जाती है।
शादी के बाद भी निभाते हैं जिम्मेदारी
विकास माली और उनकी टीम सिर्फ शादी करवाकर ही नहीं, बल्कि विवाह के बाद भी नवविवाहित जोड़ों पर नजर रखते हैं।
“यदि किसी लड़की को ससुराल में परेशानी होती है, तो संगठन उसकी मदद के लिए आगे आता है और उसके अधिकारों की रक्षा करता है।”
विकास माली का यह प्रयास समाज में एक नई रोशनी लेकर आया है, जिससे न केवल बेटियों का भविष्य सुरक्षित हो रहा है, बल्कि दहेज प्रथा और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मजबूत संदेश भी जा रहा है।
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