
#चंदवा #स्वास्थ्य_जागरूकता : 11 से 26 नवंबर तक चलने वाले इस अभियान में संभावित कुष्ठ रोगियों की पहचान के लिए स्वास्थ्य टीम घर-घर जाकर जांच करेगी।
- चंदवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
- 11 से 26 नवंबर तक गांव-गांव चलेगा विशेष खोज अभियान।
- महिला सहिया और पुरुष स्वास्थ्य कर्मी मिलकर करेंगे मरीजों की पहचान।
- जिला चिकित्सा विभाग, BDO, विधायक व सांसद प्रतिनिधि, मीडिया कर्मी और स्वास्थ्य कर्मी रहे उपस्थित।
- अभियान के दौरान कुष्ठ रोग के लक्षणों की जानकारी और समय पर उपचार की अपील की गई।
चंदवा (लातेहार) स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शनिवार को राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एक जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कुष्ठ रोग के संभावित लक्षणों की पहचान कर समय पर इलाज सुनिश्चित करना है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अधिकारी, स्वास्थ्य कर्मी, सहिया, और ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल हुए।
कार्यक्रम का उद्देश्य और मुख्य बिंदु
इस अभियान का लक्ष्य समाज में फैली कुष्ठ रोग से जुड़ी भ्रांतियों को खत्म करना और रोगियों को शीघ्र उपचार के लिए प्रेरित करना है। जिला चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 11 नवंबर से 26 नवंबर तक अभियान चलेगा, जिसके दौरान गांव-गांव जाकर संभावित मरीजों की पहचान की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक टीम में एक महिला और एक पुरुष स्वास्थ्य कर्मी को नियुक्त किया गया है, ताकि महिला और पुरुष रोगियों की जांच में सहजता बनी रहे।
“कुष्ठ रोग का इलाज पूरी तरह संभव है। जरूरत है केवल समय पर पहचान और उपचार की।”
कुष्ठ रोग के प्रमुख लक्षणों की पहचान
कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को कुष्ठ रोग के संभावित लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं —
- त्वचा पर बदरंग दाग, जिनमें सुन्नपन महसूस होना।
- चेहरे पर चमक या तेलियापन का असामान्य बढ़ना।
- कान या चेहरे पर गठानें बनना।
- आंख की पलक बंद करने में कठिनाई या आंख से लगातार पानी आना।
- भौं का झड़ना।
- हाथ-पांव में झुनझुनी या दर्दरहित घाव होना।
- उंगलियों का मुड़ जाना या पंजा ऊपर न उठ पाना।
चिकित्सकों ने बताया: “यदि किसी व्यक्ति में इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो वह तुरंत निकटतम अस्पताल में जांच कराए। प्रारंभिक अवस्था में इलाज से रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है।”
अधिकारियों और प्रतिनिधियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में जिला चिकित्सा विभाग के अधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO), प्रमुख प्रतिनिधि, विधायक प्रतिनिधि, सांसद प्रतिनिधि, मीडिया कर्मी, अस्पताल के चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी शामिल रहे। बड़ी संख्या में सहिया और ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में कहा कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को इस अभियान से जुड़कर ‘कुष्ठ मुक्त समाज’ बनाने की दिशा में सहयोग देना चाहिए।
अभियान की व्यापकता
अधिकारियों के अनुसार, यह अभियान केवल रोग की पहचान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि गांवों में जनजागरूकता अभियान के माध्यम से लोगों को रोग के कारणों, लक्षणों और उपचार के प्रति भी जागरूक किया जाएगा। इस दौरान दीवार लेखन, पोस्टर, माइक प्रचार और समूह बैठकों का भी आयोजन किया जाएगा, ताकि ग्रामीण स्तर पर जागरूकता सुनिश्चित हो सके।
एक सहिया कार्यकर्ता ने कहा: “हम हर गांव, हर टोला में जाएंगे और लोगों को समझाएंगे कि कुष्ठ रोग डरने की नहीं, बल्कि इलाज की बात है।”

न्यूज़ देखो: जागरूकता से ही खत्म होगा कुष्ठ का कलंक
यह अभियान बताता है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण समाज में स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर गंभीर हैं। कुष्ठ जैसी बीमारी, जो एक समय सामाजिक बहिष्कार का कारण बनती थी, आज उपचार योग्य है — बस जरूरत है समय पर पहचान और साहसिक कदम उठाने की।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्वस्थ समाज की दिशा में एक कदम
कुष्ठ रोग जैसी बीमारियाँ तब तक चुनौती बनी रहती हैं, जब तक समाज जागरूक नहीं होता। आइए, इस अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दें — अपने आसपास किसी में भी लक्षण दिखे तो तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें। यह न सिर्फ एक व्यक्ति की मदद होगी, बल्कि पूरे समुदाय के स्वास्थ्य की रक्षा भी होगी।
स्वास्थ्य है जिम्मेदारी
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