
#पलामू #आदिवासी_संस्कृति : सोहराय सह छठ पारण के अवसर पर कल पलामू किला परिसर में ऐतिहासिक जतरा मेला का आयोजन – आस्था, परंपरा और जनभागीदारी का होगा अद्भुत संगम
- राजा मेदिनीराय की स्मृति में कल आयोजित होगा ऐतिहासिक पलामू किला आदिवासी जतरा मेला।
- 29 अक्टूबर, बुधवार दोपहर 12 बजे से होगा पारंपरिक शुभारंभ।
- मनिका विधायक श्री रामचंद्र सिंह करेंगे अध्यक्षता।
- मुख्य अतिथि रहेंगे वित्त मंत्री श्री राधाकृष्ण किशोर और कल्याण मंत्री श्री चमरा लिंडा।
- चतरा सांसद श्री कालीचरण सिंह, पलामू सांसद श्री विष्णु दयाल राम समेत कई गणमान्य नेताओं का होगा आगमन।
- पलामू, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश से हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना।
झारखंड की लोक परंपरा, आस्था और संस्कृति को एक सूत्र में पिरोने वाला राष्ट्रीय पलामू किला आदिवासी जतरा मेला कल 29 अक्टूबर, बुधवार को प्रारंभ होगा। यह आयोजन हर वर्ष की भांति इस बार भी सोहराय सह छठ पारण के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। ऐतिहासिक राजा मेदिनीराय किला परिसर में होने वाला यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि आदिवासी अस्मिता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है।
राजा मेदिनीराय की स्मृति में सजेगा ऐतिहासिक आयोजन
पलामू किला, जो राजा मेदिनीराय की गौरवशाली विरासत का प्रतीक है, कल एक बार फिर जनसमूह और श्रद्धा से गूंज उठेगा। इस जतरा मेले में परंपरागत पूजा-अर्चना के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोकगीत, नृत्य और धार्मिक अनुष्ठान का भी आयोजन होगा। आयोजकों के अनुसार, इस अवसर पर राज्य के तीनों मंडलों से श्रद्धालुओं का आना सुनिश्चित है।
अतिथियों का भव्य आगमन और आयोजन की रूपरेखा
कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे माननीय विधायक श्री रामचंद्र सिंह, जो मनिका क्षेत्र से सदाचार समिति के सभापति भी हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में वित्त मंत्री श्री राधाकृष्ण किशोर और कल्याण मंत्री श्री चमरा लिंडा कार्यक्रम में शामिल होंगे।
इसके साथ ही चतरा सांसद श्री कालीचरण सिंह, पलामू सांसद श्री विष्णु दयाल राम, पूर्व विधायक (दुधी, यूपी) एवं राष्ट्रीय चेरो जनजाति महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री हरीराम चेरो, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह, तथा शोधकर्ता गलैकसन ढुगढूग भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।
प्रदीप सिंह चेरो, अध्यक्ष, पलामू किला आदिवासी जतरा मेला समिति ने कहा: “यह मेला केवल धार्मिक नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, इतिहास और सामाजिक एकता का प्रतीक है। हम सभी पलामू प्रमंडल, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के नागरिकों से आग्रह करते हैं कि इस ऐतिहासिक अवसर पर पधारें और अपनी उपस्थिति से इसे सफल बनाएं।”
समाज और संस्कृति के संगम का केंद्र बनेगा पलामू किला
जतरा मेला में स्थानीय कलाकारों द्वारा आदिवासी लोकगीत, नृत्य और पारंपरिक झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा। पूरा पलामू किला परिसर रोशनी और उत्साह से जगमगाने वाला है। मेले में श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य सहायता केंद्र, और जलपान की विशेष व्यवस्था की गई है। आयोजन समिति के स्वयंसेवक लगातार तैयारी में जुटे हैं ताकि आगंतुकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
श्रद्धा और इतिहास के मेल से झलकेगा झारखंड की पहचान
यह मेला न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह झारखंड की सांस्कृतिक आत्मा को भी दर्शाता है। आदिवासी समुदाय के लोग इस आयोजन को अपनी पहचान का प्रतीक मानते हैं। इस बार आयोजन की भव्यता पहले से कई गुना अधिक होगी, जिससे क्षेत्रीय पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
न्यूज़ देखो: लोकसंस्कृति और जनभागीदारी का जीवंत उदाहरण
राष्ट्रीय पलामू किला आदिवासी जतरा मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह लोकसंस्कृति, ऐतिहासिक चेतना और सामाजिक एकता का जीता-जागता उदाहरण है। इस आयोजन से झारखंड की परंपरा, भाईचारा और सामूहिक सहभागिता की भावना मजबूत होती है।
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परंपरा से प्रेरणा लें, संस्कृति से जुड़ें
आस्था और संस्कृति का यह संगम हम सबके लिए गर्व का अवसर है। यह समय है जब हम अपनी विरासत को सम्मान दें, उसे अगली पीढ़ियों तक पहुंचाएं।
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