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गिरिडीह में एलआईसी कर्मचारियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जताया आक्रोश

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#गिरिडीह #एलआईसी_हड़ताल : केंद्र सरकार की निजीकरण नीति और श्रमिक अधिकारों पर हमले के खिलाफ एलआईसी कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल — गिरिडीह शाखा में दिखा एकजुट विरोध
  • एलआईसी कर्मचारियों ने गिरिडीह शाखा में एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग लिया
  • केंद्र सरकार की एफडीआई नीति, निजीकरण और एलआईसी एक्ट संशोधन के खिलाफ विरोध
  • वर्ग 3 और 4 कर्मचारियों की रिक्तियों को भरने की मांग
  • बेरोजगारी, महंगाई और पुरानी पेंशन योजना की बहाली सहित कई मांगें रखी गईं
  • अध्यक्ष संजय शर्मा और सचिव धर्म प्रकाश के नेतृत्व में प्रदर्शन

केंद्र की निजीकरण नीति के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने दिया धरना

गिरिडीह में एलआईसी शाखा कार्यालय के सामने मंगलवार को कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत धरना दिया। यह प्रदर्शन 10 केंद्रीय श्रम संगठनों और अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ के आह्वान पर आयोजित हुआ। हड़ताल की अध्यक्षता शाखा अध्यक्ष संजय शर्मा ने की जबकि नेतृत्व सचिव धर्म प्रकाश ने संभाला। कर्मचारियों ने केंद्र सरकार पर जनविरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए खासकर सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के निजीकरण को लेकर गहरी नाराजगी जताई।

एलआईसी के हिस्सेदारी बेचने और बीमा कानून संशोधन का विरोध

सचिव धर्म प्रकाश ने कहा कि केंद्र सरकार एलआईसी में अपनी 6.30% हिस्सेदारी बेचने के लिए आतुर है। वहीं संसद के आगामी मानसून सत्र में एलआईसी एक्ट अमेंडमेंट बिल, इंश्योरेंस लॉ अमेंडमेंट बिल और आईआरडीए एक्ट अमेंडमेंट बिल लाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 74% से 100% तक बढ़ाने की योजना भी समझ से परे है, क्योंकि अब तक सिर्फ 32% ही एफडीआई प्राप्त हुआ है।

श्रमिक अधिकारों और रिक्तियों की बहाली की मांग

हड़ताल में कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि 2012 के बाद से एलआईसी में वर्ग 3 और वर्ग 4 कर्मचारियों की बहाली नहीं हुई है, जबकि कई पद खाली हैं। इस हड़ताल के माध्यम से इन रिक्तियों को भरने की मांग की जा रही है। साथ ही बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण जैसी समस्याओं पर सरकार को चेताया गया।

न्यूनतम वेतन, पुरानी पेंशन और श्रम कानूनों को लेकर भी आवाज बुलंद

कर्मचारियों ने कहा कि देश के मेहनतकशों की स्थिति बदतर हो रही है। ऐसे में न्यूनतम मजदूरी ₹26,000 मासिक करने, नई पेंशन नीति को समाप्त कर पुरानी पेंशन नीति बहाल करने, तथा चार श्रम कोड को रद्द कर पुराने 29 श्रम कानूनों को फिर से लागू करने की मांग की गई है।

सचिव धर्म प्रकाश ने कहा: “हम एलआईसी के भविष्य और कर्मचारियों के अधिकारों को बचाने के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर हैं। सरकार की नीतियां हमें मजबूर कर रही हैं।”

एलआईसी कर्मचारियों को मिला विभिन्न संगठनों का समर्थन

इस हड़ताल को एलआईसी क्लास वन ऑफिसर एसोसिएशन, विकास अधिकारी संघ, पेंशनर एसोसिएशन, और लियाफी अभिकर्ता संघ सहित कई संगठनों ने नैतिक समर्थन दिया। साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा, झारखंड मुक्ति मोर्चा, और राष्ट्रीय जनता दल जैसे राजनीतिक दलों ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया।

सैकड़ों कर्मचारियों ने लिया हिस्सा

प्रदर्शन में शामिल प्रमुख लोगों में अनुराग मुर्मू, प्रवीण कुमार हंसदा, विजय कुमार, राजेश कुमार उपाध्याय, कुमकुम बाला वर्मा, उमानाथ झा, रोशन कुमार, श्वेता कुमारी, राजेश कुमार, नीतीश गुप्ता, प्रीतम कुमार मेहता, माहेश्वरी वर्मा, गौरव कुमार सिंह, संजय गुप्ता सहित दर्जनों कर्मचारी शामिल हुए।

सभी ने एक स्वर में कहा कि यह लड़ाई न केवल उनके रोजगार की है, बल्कि देश की सार्वजनिक संपत्ति को बचाने की लड़ाई भी है।

न्यूज़ देखो: श्रमिक एकता से उठती जन-आवाज की चेतावनी

यह हड़ताल सिर्फ एलआईसी कर्मचारियों की नहीं, बल्कि उन तमाम मेहनतकशों की आवाज है जिनके अधिकारों को कुचला जा रहा है। निजीकरण और एफडीआई जैसे निर्णय जब जनभावनाओं के खिलाफ हों, तो विरोध स्वाभाविक है। न्यूज़ देखो श्रमिकों की इन मांगों को लोकतंत्र की आत्मा मानते हुए इसे जन-सरोकार का मुद्दा मानता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनभागीदारी से बदलेगा शासन का रवैया

जब आम लोग अपनी बात मजबूती से कहते हैं, तो सरकार को भी नीति बदलनी पड़ती है। हर नागरिक को चाहिए कि वह जागरूक बनकर लोकतंत्र को मजबूत करे।
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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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